आर्यभट का जीवन परिचय Life Story Of Aryabhatt
7 April 2017
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Short biography of aryabhatta - आर्यभट महान गणितज्ञ, ज्योतिषवेता, खगोलशास्त्री के रूप में प्राचीन भारतीय इतिहास में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हे.
उन्होंने भारतीय गणित के साथ विश्व को ऐसा गणितीय सिदांत दिया, जिसकी कल्पना आज के टाइम में कोई भी देश नहीं कर सकता हे. वो सिदांत था शून्य का. उससे पहले शून्य के बारे में कोई नहीं जानता था. आईये जानते हे आर्यभट के बारे में और उनकी जीवनी के बारे में.
आर्यभट और उनका जन्म परिचय biography of ramanujan aryabhatta achievements
आर्यभट का जन्म ई. सन 476 में पाटलिपुत्र में हुआ था. इसके अलावा आर्यभट के माता-पिता के बारे में जानकारी इतिहास में नहीं मिलती हे.
उन्होंने भारतीय गणित के साथ विश्व को ऐसा गणितीय सिदांत दिया, जिसकी कल्पना आज के टाइम में कोई भी देश नहीं कर सकता हे. वो सिदांत था शून्य का. उससे पहले शून्य के बारे में कोई नहीं जानता था. आईये जानते हे आर्यभट के बारे में और उनकी जीवनी के बारे में.
आर्यभट और उनका जन्म परिचय biography of ramanujan aryabhatta achievements
आर्यभट का जन्म ई. सन 476 में पाटलिपुत्र में हुआ था. इसके अलावा आर्यभट के माता-पिता के बारे में जानकारी इतिहास में नहीं मिलती हे.
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गणित और ज्योतिषशास्त्र में उनका योगदान
आर्यभट ने गणित और ज्योतिष में अपनी शिक्षा प्राप्त की थी. उन्होंने एक पुस्त भी लिखी थी जिसका नाम था “आर्यभटीय”. इसमें कुल 121 श्लोक हे. इस पुस्तक में गणित और ज्योतिष के बारे में जानकारी मिलती हे. उन्होंने जिस अंकन पद्दति का सिदांत दिया उसे अरब देशों ने भी अपनाया.
आर्यभट ने त्रिभुज के क्षेत्रफल को जानने का नियम निकाला, जिसके परिणामस्वरूप त्रिकोणमितिय का जन्म हुआ. वर्तमान समय में स्कूल और कॉलेज में आर्यभट की पद्दति पर आधारित त्रिकोणमिति को पढ़ाया जाता हे.
आर्यभट ने सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के कारणों का भी पता लगाया. उन्होंने बताया की सूर्य स्थिर हे और पृथ्वी घुमती हे. उन्होंने गढ़-नक्षत्रों की गतिविधियों के बारे में भी लिखा. इसके अलावा उनका सबसे बड़ा आविष्कार शून्य का अपने आप में एक बड़ी उपलब्धी हे.
गणित और ज्योतिषशास्त्र में उनका योगदान
आर्यभट ने गणित और ज्योतिष में अपनी शिक्षा प्राप्त की थी. उन्होंने एक पुस्त भी लिखी थी जिसका नाम था “आर्यभटीय”. इसमें कुल 121 श्लोक हे. इस पुस्तक में गणित और ज्योतिष के बारे में जानकारी मिलती हे. उन्होंने जिस अंकन पद्दति का सिदांत दिया उसे अरब देशों ने भी अपनाया.
आर्यभट ने त्रिभुज के क्षेत्रफल को जानने का नियम निकाला, जिसके परिणामस्वरूप त्रिकोणमितिय का जन्म हुआ. वर्तमान समय में स्कूल और कॉलेज में आर्यभट की पद्दति पर आधारित त्रिकोणमिति को पढ़ाया जाता हे.
आर्यभट ने सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के कारणों का भी पता लगाया. उन्होंने बताया की सूर्य स्थिर हे और पृथ्वी घुमती हे. उन्होंने गढ़-नक्षत्रों की गतिविधियों के बारे में भी लिखा. इसके अलावा उनका सबसे बड़ा आविष्कार शून्य का अपने आप में एक बड़ी उपलब्धी हे.
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