5 बातें गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी से सीखे Ganesh Chaturthi


सबसे पहले तो आप सबको गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं. आपके घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहें. गणपति सिर्फ देवता नहीं बल्कि सर्वोच्च पद भी हे. वे देवों के देव और सब देवताओं में सबसे पहले पूजनीय हे. वे सबसे बड़े शिक्षक हे. उनका जीवन चरित्र हमें बहुत कुछ सिखाता हे. आज की इस पोस्ट में, में आपको गणेश की 5 सीखें और उनसे जुडी बातें बताऊंगा.
1. माता-पिता को संसार के बराबर माना : इसलिए देवों में प्रथम पूज्य बने
माँ पार्वती और पिता शिव ने कहा की जो पृथ्वी का पहले चक्कर लगाकर आएगा उसे ऐसा फल देंगे जिससे अथाह ज्ञान मिलेगा. कार्तिकेय तेजी से विश्व के चक्कर पर निकल गए. गणेशजी ने माँ पार्वती और पिता महादेव की ही परिक्रमा लगा ली.

2. गलतियों को क्षमा करेंगे तो ऊँचा उठेंगे : इसलिए विशाल हृदय के बने
अपनी सुन्दरता के घमंड में चन्दमा जब भगवान गणेशजी का आकार देखकर हंस पड़े तो गणेशजी नाराज़ हो गए. श्राप दिया – चांदनी कालिमा में बदल जाये. चन्द्रमा को भूल का अहसास हुआ. उन्होंने माफ़ी मांग ली और गणेशजी ने माफ़ कर दिया. 
3. आरम्भ वही सही जो अंत तक पहुंचे : इसलिए एकदन्त हो गए
गणेशजी ने ही महाभारत लिखी. इस शर्त पर की जब लिखने बैठेंगे तो रुकेंगे नहीं. वेद व्यास ने भी शर्त रखी की बिना समझे लिखोगे नहीं. अचानक लिखते-लिखते उनकी कलम टूट गई. गणेशजी ने तत्काल अपना दांत तोड़कर उसी सी लिखना स्टार्ट किया.

4. सुनो, सुनने से ही सब होगा : इसलिए गणेशजी का आकार ऐसा
गणेशजी के कान बड़े हे. अनाज साफ़ करने के सूप की तरह. जैसे अन्न में से दूषित तत्वों को बाहर किया जाता हे. वैसे ही वे बुरी बातो को पहले से ही दूर करने की प्रेरणा देते हे.

5. जिसे कोई ना अपनाये, उसे अपनाओ : इसलिए वाहन भी छोटा 
ऋषि पराशर के आश्रम के उत्पाती मूषक को पकड़ लेने के बाद मूषक ने गणेशजी से वर मांगने की बात कही. गणेशजी ने मूषक को वाहन बनने को कहा. मूषक उनका भार सह नहीं पाया और क्षमा मांगी. गणेशजी ने क्षमा दी और मूषक को स्वीकार कर लिया.

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