कहानी माँ के तीन गहने जरुर पड़े..Mother’s Three Lesson in Hindi


इश्वरचंद विधासागर का बचपन बंगाल के एक गाँव में बीता. एक बार उनके मन में एक सवाल आया की गाँव की सभी ओरतें अच्छे अच्छे गहने पहनती हे लेकिन उनकी माँ गहने क्यों नहीं पहनती. उन्होंने अपनी माँ से पूछा – “माँ तुम्हे कोन-कोन से गहने अच्छे लगते हे?” माँ हंसते हुए बोली – “क्यों पूछ रहे हो बेटा?” इश्वरचंद ने कहा - “जब में बड़ा हो जाऊंगा ना तब तुम्हारे लिए बहुत सारे गहने बनाऊंगा.” तब माँ ने कहा मुझे बहुत सारे गहने तो नहीं चाहिए लेकिन अगर तुम बनवा सको तो तीन गहने बनाना. इश्वरचंद ने पूछा – “कोनसे तीन गहने माँ??”
पहला गहना तो यह की तुम गाँव में एक school बनवाना. यंहा के बच्चों को दुसरे गाँव में जाना पड़ता हे. दूसरा गहना गाँव में एक दवाखाना बनवाना, ताकि लोगो को दवा के लिए दुसरे शहर ना जाना पड़े. तीसरा गहना यह हे की तुम अनाथ और गरीब बच्चों के लिए भोजन की व्यवस्था करना. यह सुनकर इश्वरचंद की आँखों में आंसू आ गए. उन्होंने तय कर लिया की जब तक यह गहने नहीं बनेंगे तब तक वे चैन नहीं लेंगे. इश्वरचंद ने माँ की प्रेरणा के चलते उनसे किये हुए अपने इन वादों को निभाया भी. 

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हे की जीवन में हमेशा प्रेरणा जरुर ले. चाहे वो हमारी माँ हो, पिता हो, भाई-बहन हो, दोस्त हो या गुरु. किसी ना किसी से प्रेरणा जरुर ले. यही प्रेरणा आपको आगे बढ़ने में मदद करेगी.

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