जानिए इन 4 धर्म के पर्सनल कानून के बारे में..Personal Low In Hindi
17 July 2016
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अलग-अलग धर्मो की अलग-अलग मान्यताएं होती हे. ऐसे ही सब धर्मों के अलग-अलग कानून होते हे. चाहे वो तलाक का कानून हो या दूसरी शादी का या धर्म बदलने का. आज की इस पोस्ट में, में आपको हिन्दू, मुस्लिम, पारसी और क्रिश्चियन धर्म के कानून के बारे में बताऊंगा.
1. हिन्दू धर्म
अगर शादी के बाद हिन्दू व्यक्ति धर्म बदलता हे तो धर्म बदलने से पहले पैदा हुए बच्चों का पैतृक सम्पति में अधिकार होगा, लेकिन बाद में पैदा हुए बच्चो का सम्पति में कोई अधिकार नहीं होगा. धर्म बदलने के बाद उस व्यक्ति का भी सम्पति से हक खत्म हो जायेगा.
2. मुस्लिम धर्म
मुस्लिम धर्म में तीन बार तलाक कहने से तलाक और एक से अधिक बीवी रखने का प्रावधान हे. मुस्लिम महिलाओं की पहली मांग हे की तीन बार तलाक कहने से तलाक होने वाले इस प्रावधान को जल्द से जल्द समाप्त करें. इसके लिए सरकार और सियासत को जो करना पड़े करें.
3. पारसी धर्म
पारसी लड़की अगर दुसरे धर्म के लड़के से शादी करती हे तो उसका पारिवारिक सम्पति में कोई हक़ नहीं रहेगा. धर्म बदले बिना भी अगर दुसरे धर्म में शादी की तो भी पारसी समुदाय उसे बिरादरी से बेदखल कर देगा. लड़का अगर दुसरे धर्म की लड़की से शादी करे तब भी लड़की धर्म बदलकर पारसी धर्म में शामिल नहीं हो सकती. यही कारन था की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी पारसी समुदाय के फ़िरोज़ गाँधी से शादी के बाद भी हिन्दू ही रही.
4. क्रिश्चियन धर्म
इस धर्म में तलाक के चार कारण पागलपन, योन रूप से अपंग, अनेतिक और झूठ बोलकर की गयी शादी हे. इसके अलावा किसी और कारण से तलाक लेने की इजाजत क्रिश्चियन धर्म का कानून नहीं देता.
अगर शादी के बाद हिन्दू व्यक्ति धर्म बदलता हे तो धर्म बदलने से पहले पैदा हुए बच्चों का पैतृक सम्पति में अधिकार होगा, लेकिन बाद में पैदा हुए बच्चो का सम्पति में कोई अधिकार नहीं होगा. धर्म बदलने के बाद उस व्यक्ति का भी सम्पति से हक खत्म हो जायेगा.
2. मुस्लिम धर्म
मुस्लिम धर्म में तीन बार तलाक कहने से तलाक और एक से अधिक बीवी रखने का प्रावधान हे. मुस्लिम महिलाओं की पहली मांग हे की तीन बार तलाक कहने से तलाक होने वाले इस प्रावधान को जल्द से जल्द समाप्त करें. इसके लिए सरकार और सियासत को जो करना पड़े करें.
3. पारसी धर्म
पारसी लड़की अगर दुसरे धर्म के लड़के से शादी करती हे तो उसका पारिवारिक सम्पति में कोई हक़ नहीं रहेगा. धर्म बदले बिना भी अगर दुसरे धर्म में शादी की तो भी पारसी समुदाय उसे बिरादरी से बेदखल कर देगा. लड़का अगर दुसरे धर्म की लड़की से शादी करे तब भी लड़की धर्म बदलकर पारसी धर्म में शामिल नहीं हो सकती. यही कारन था की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी पारसी समुदाय के फ़िरोज़ गाँधी से शादी के बाद भी हिन्दू ही रही.
4. क्रिश्चियन धर्म
इस धर्म में तलाक के चार कारण पागलपन, योन रूप से अपंग, अनेतिक और झूठ बोलकर की गयी शादी हे. इसके अलावा किसी और कारण से तलाक लेने की इजाजत क्रिश्चियन धर्म का कानून नहीं देता.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... शानदार पोस्ट .... Nice article with awesome depiction!! :) :)
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