गूगल फेसबुक व्हाट्सप्प खतरा देश की सुरक्षा आप से
19 March 2016
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आज हम बहुत ही इम्पोर्टेन्ट टॉपिक पर बात करेंगे जो हर इंटरनेट यूजर को जानना बहुत जरुरी है। भारत के लिए तो बेहद जरुरी है तो कृपया ध्यान से इस बात को समझे -
हम कुछ गिनी चुनी साइट के आदी हो गाये है जैसे - Google, Facebook, or Whatsapp ये सभी कम्पनिया बिदेशी हे। मतलब ये भारतीय नहीं ?
दूसरी बात हमारे देश की आबादी दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी है। और हम इतने फ्री रहते हे की छोटी छोटी बात को इंटरनेट पर डालते है या सर्च करते है... जिससे हम जो सर्च कर रहे हे वो गूगल के सिस्टम में सेव होता हे जिसको गूगल या फेसबुक और व्हाट्सप्प किसी भी कम्पनीज को बेच देते हो ... हम जो सर्च करते हे वह ज्यादातर इग्लिश वर्ड्स होते है तो गूगल को समझने में और ज्यादा सहूलियत होती हे आपको ये भी पता होना जरुरी हे की जापान और चीन में गूगल पर बेन हे जापान क्यों इतनी आपदाए होने के बाद भी क्यों इतना आगे हे पता आपको नहीं तो समझे क्योकि उनका लगभग हर सरकारी और गैर सरकारी काम लोकल भाषा - 日本語 情報漏洩攻撃グーグル
में होता हे अब आप समझो ये क्या लिखा जबतक आप समझोगे तब तक जपान नई टेक्नोलॉजी ला देगा अगर हमारे देश के नेता और देश पहले अपनी मातृ भाषा हिंदी को बढ़ाबा दे फि सभी पुख्ता जानकारी हिन्दी में रखना चालू कर दे तो कुछ ही समय बाद भारत सभी देशो में आगे होगा देश में रोजगार भी डेवलप होगा (यहाँ क्लिक कर गूगल के कब्जे में कई संवेदनशील सैन्य ठिकानों के मानचित्र)
सभी इंटरनेट वेबसाइट कम्पनिया भारत में क्यों आना पसंद करती हे पता आपको नहीं तो उसके कारण बैसे तो कई हे पर में टॉप कारण बताता हू -
इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि गूगल भविष्य के लिए यह नीति निर्धारित करने जा रहा है ताकि अधिक से अधिक भारतीय लोग गूगल के माध्यम से इन्टरनेट से जुड़ें. ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि हम वैश्विक स्तर की सूचना प्रोद्योगिकी पर न रोक लगा सकते हैं और न उससे मुंह मोड़ सकते हैं किन्तु अपने बच्चों एवं युवाओं की भागीदारी इस माध्यम में कहां कितनी हो, जागरूक रहते हुए यह तो तय कर ही सकते हैं. पारिवारिक स्तर पर जैसे हम बच्चों की जीवनचर्या निर्धारित करते हैं, वैसे ही हमें इन्टरनेट पर उनका दृष्टि क्रम भी निर्धारित करना होगा अन्यथा इन्टरनेट का कचरा जाने-अनजाने उनका दृष्टिकोण सदा के लिए दूषित कर कर सकता है और समय बीत जाने के बाद इसकी भरपाई असंभव होगी. बस इतना ध्यान रहे कि इंटरनेट का वरदान अभिशाप न बन जाए.
Facebook
अपने दोस्तों से जुड़े रहने के बदले आपको एक समझौता करना पड़ता है। आप फेसबुक को अपनी ऐक्टिविटी ट्रैक करने की इजाजत दे देते हैं। फेसबुक आपकी ऐक्टिविटी इसलिए ट्रैक करती है, ताकि आपकी पसंद-नापसंद का पता लगाकर उस हिसाब से विज्ञापन दिखाए जा सकें।
हम कुछ गिनी चुनी साइट के आदी हो गाये है जैसे - Google, Facebook, or Whatsapp ये सभी कम्पनिया बिदेशी हे। मतलब ये भारतीय नहीं ?
दूसरी बात हमारे देश की आबादी दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी है। और हम इतने फ्री रहते हे की छोटी छोटी बात को इंटरनेट पर डालते है या सर्च करते है... जिससे हम जो सर्च कर रहे हे वो गूगल के सिस्टम में सेव होता हे जिसको गूगल या फेसबुक और व्हाट्सप्प किसी भी कम्पनीज को बेच देते हो ... हम जो सर्च करते हे वह ज्यादातर इग्लिश वर्ड्स होते है तो गूगल को समझने में और ज्यादा सहूलियत होती हे आपको ये भी पता होना जरुरी हे की जापान और चीन में गूगल पर बेन हे जापान क्यों इतनी आपदाए होने के बाद भी क्यों इतना आगे हे पता आपको नहीं तो समझे क्योकि उनका लगभग हर सरकारी और गैर सरकारी काम लोकल भाषा - 日本語 情報漏洩攻撃グーグル
में होता हे अब आप समझो ये क्या लिखा जबतक आप समझोगे तब तक जपान नई टेक्नोलॉजी ला देगा अगर हमारे देश के नेता और देश पहले अपनी मातृ भाषा हिंदी को बढ़ाबा दे फि सभी पुख्ता जानकारी हिन्दी में रखना चालू कर दे तो कुछ ही समय बाद भारत सभी देशो में आगे होगा देश में रोजगार भी डेवलप होगा (यहाँ क्लिक कर गूगल के कब्जे में कई संवेदनशील सैन्य ठिकानों के मानचित्र)
सभी इंटरनेट वेबसाइट कम्पनिया भारत में क्यों आना पसंद करती हे पता आपको नहीं तो उसके कारण बैसे तो कई हे पर में टॉप कारण बताता हू -
- आबादी बहुत है
- लोग झांसे में जल्दी आ जाते बोलो तो चमत्कार को नमस्कार
- भारत के दुश्मन बहुत है जो देश की जानकारी दुश्मन गूगल से या फेसबुक से खरीदते है जिससे FB, Google कम्पनीज को बहुत पैसा मिल जाता हे (अब आप बोल सकते ये में कैसे कह सकता हु तो बताये देता हु मेरे पास भी मेरे यूजर का रिकॉर्ड होता हे जिसको खरीदने के लिए मेरे पास भी 2015 में एक email आया था पर उस डेटा को पहले तो में भी बेचने को मजबूर हो गया था पर बाद में मैंने डील कैंसिल कर दी थी आपको इसकी स्क्रीन शॉट जल्द उपलब्ध कराऊंगा
- अगर आपकी सिटी में आर्मी रहती हे और मिलट्री की जानकारी इंग्लिश में गूगल या फेसबुक या व्हाट्सप्प पर डाली तो उसी टाइम से आप ट्रैक होना स्टार्ट हो जाते हो
मेरी इस पोस्ट का उदेश्य आपको डरना बिलकुल नहीं है सिर्फ इतना कहना है कृपया कोई भी जरूरी जानकारी गूगल या फेसबुक पर ना डाले और अगर ऐसा होता हे तो उससे रोके मेरी ये पोस्ट सभी को जरूर बताये जिससे हम लोगो को जागरूक कर सके... जरुरी नहीं की देश सेवा आर्मी में जाकर ही की जाये हम लोगो को जागरूक बनाकर भी सेवा कर सकते हे
गूगल का मानना
गूगल का मानना है कि वर्तमान में दुनिया में लगभग दो अरब लोग इंटरनेट से जुड़े है और भविष्य में यह आंकड़ा सात अरब तक होने की उम्मीद है. यह आंकड़ा यूं तो सूचना प्रौद्योगिकी की उत्तरोत्तर प्रगति की ओर इशारा कर रहा है लेकिन इस चिंता को भी बढ़ाता है कि हमारे देश के नौनिहाल कहीं उचित जानकारी के अभाव या संवेदनशील उम्र के पड़ाव पर इसके गलत इस्तेमाल की दिशा में न बढ़ जाएं. क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से इन्टरनेट के नए उपभोक्ताओं में भारतीयों की अधिकाधिक भागीदारी तय है.इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि गूगल भविष्य के लिए यह नीति निर्धारित करने जा रहा है ताकि अधिक से अधिक भारतीय लोग गूगल के माध्यम से इन्टरनेट से जुड़ें. ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि हम वैश्विक स्तर की सूचना प्रोद्योगिकी पर न रोक लगा सकते हैं और न उससे मुंह मोड़ सकते हैं किन्तु अपने बच्चों एवं युवाओं की भागीदारी इस माध्यम में कहां कितनी हो, जागरूक रहते हुए यह तो तय कर ही सकते हैं. पारिवारिक स्तर पर जैसे हम बच्चों की जीवनचर्या निर्धारित करते हैं, वैसे ही हमें इन्टरनेट पर उनका दृष्टि क्रम भी निर्धारित करना होगा अन्यथा इन्टरनेट का कचरा जाने-अनजाने उनका दृष्टिकोण सदा के लिए दूषित कर कर सकता है और समय बीत जाने के बाद इसकी भरपाई असंभव होगी. बस इतना ध्यान रहे कि इंटरनेट का वरदान अभिशाप न बन जाए.
अपने दोस्तों से जुड़े रहने के बदले आपको एक समझौता करना पड़ता है। आप फेसबुक को अपनी ऐक्टिविटी ट्रैक करने की इजाजत दे देते हैं। फेसबुक आपकी ऐक्टिविटी इसलिए ट्रैक करती है, ताकि आपकी पसंद-नापसंद का पता लगाकर उस हिसाब से विज्ञापन दिखाए जा सकें।
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अगर आपको फेसबुक पर विज्ञापनों से मुक्ति चाहिए तो आपको फेसबुक से ही मुक्ति पानी होगी। फिर भी आप यह तय कर सकते है कि फेसबुक आपको क्या-क्या ऐड दिखाए। इसके अलावा आप बाकी इंटरनेट पर क्या करते हैं, यह जानकारी भी आप फेसबुक से छिपा सकते हैं। आगे जानें, कैसे किया जा सकता है यह काम:
फेसबुक तीन तरीकों से आपके बारे में जानकारी जुटाती है:
1. जो जानकारी आप सीधे देते हैं। जैसे कि नाम, उम्र, शादी हुई है या नहीं, कहां रहते हैं, कहां काम करते हैं वगैरह।
2. आप फेसबुक पर क्या करते हैं। जैसे कि आपने कौन से पेज लाइक किए हैं, किन ग्रुप्स में आप हैं और किस तरह के फोटो और लिंक आपने शेयर किए हैं या किनपर क्लिक किया है।
3. फेसबुक के अलावा आप बाकी इंटरनेट पर क्या करते हैं। फेसबुक कई वेबसाइट्स की कुकीज़ या इसी तरह की टेक्नॉलजी के जरिए पता लगाती है कि आपने क्या सर्फ किया है। फेसबुक इन कुकीज़ को पढ़कर उस इन्फर्मेशन के हिसाब अपनी और अन्य वेबसाइट्स पर ऐड दिखाती है।
फेसबुक तीन तरीकों से आपके बारे में जानकारी जुटाती है:
1. जो जानकारी आप सीधे देते हैं। जैसे कि नाम, उम्र, शादी हुई है या नहीं, कहां रहते हैं, कहां काम करते हैं वगैरह।
2. आप फेसबुक पर क्या करते हैं। जैसे कि आपने कौन से पेज लाइक किए हैं, किन ग्रुप्स में आप हैं और किस तरह के फोटो और लिंक आपने शेयर किए हैं या किनपर क्लिक किया है।
3. फेसबुक के अलावा आप बाकी इंटरनेट पर क्या करते हैं। फेसबुक कई वेबसाइट्स की कुकीज़ या इसी तरह की टेक्नॉलजी के जरिए पता लगाती है कि आपने क्या सर्फ किया है। फेसबुक इन कुकीज़ को पढ़कर उस इन्फर्मेशन के हिसाब अपनी और अन्य वेबसाइट्स पर ऐड दिखाती है।
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