हनुमान के होते काल भी अयोध्या नहीं आ पाते थे hanuman ji ki kahani
31 January 2016
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Bhagwan Shri Hanuman ji ki hindi story - जिस दिन काल देव को अयोध्या में आना था उस दिन श्री राम ने भगवान हनुमान को मुख्य द्वार से दूर रखने का एक तरीका निकाला। उन्होंने अपनी अंगूठी महल के फर्श में आई एक दरार में डाल दी और हनुमान को उसे बाहर निकालने का आदेश दिया। उस अंगूठी को निकालने के लिए भगवान हनुमान ने स्वयं भी उस दरार जितना आकार ले लिया और उसे खोजने में लग गए।
जब हनुमान उस दरार के भीतर गए तो उन्हें समझ में आया कि यह कोई दरार नहीं बल्कि सुरंग है जो नाग-लोक की ओर जाती है वहां जाकर वे नागों के राजा वासुकि से मिले वासुकि हनुमान को नाग-लोक के मध्य में ले गए और
अंगूठियों से भरा एक विशाल पहाड़ दिखाते हुए कहा कि यहां आपको आपकी अंगूठी मिल जाएगी उस पर्वत को देख हनुमान कुछ परेशान हो गए और सोचने लगे कि इस विशाल ढेर में से श्री राम की अंगूठी खोजना तो कूड़े के ढेर से सूई निकालने के समान है।
लेकिन जैसे ही उन्होंने पहली अंगूठी उठाई तो वह श्री राम की ही थी लेकिन अचंभा तब हुआ जब दूसरी अंगूठी उठाई, क्योंकि वह भी भगवान राम की ही थी यह देख भगवान हनुमान को एक पल के लिए समझ ना आया कि उनके साथ क्या हो रहा है इसे देख वासुकि मुस्कुराए और समझाने लगे
वे बोले कि पृथ्वी लोक एक ऐसा लोक है जहां जो भी आता है उसे एक दिन वापस लौटना ही होता है। उसके वापस जाने का साधन कुछ भी हो सकता है। ठीक इसी तरह श्रीराम भी पृथ्वी लोक को छोड़ एक दिन विष्णु लोक वापस आवश्य जाएंगे। वासुकि की यह बात सुनकर भगवान हनुमान को सारी बातें समझ में आने लगीं। उनका अंगूठी ढूंढ़ने के लिए आना और फिर नाग-लोक पहुंचना, यह सब श्री राम का ही फैसला था।
वासुकि की बताई बात के अनुसार उन्हें यह समझ आया कि उनका नाग-लोक में आना केवल श्री राम द्वारा उन्हें उनके कर्तव्य से भटकाना था ताकि काल देव अयोध्या में प्रवेश कर सकें और श्री राम को उनके जीवनकाल के समाप्त होने की सूचना दे सकें। अब जब वे अयोध्या वापस लौटेंगे तो श्रीराम नहीं होंगे और श्रीराम नहीं तो दुनिया भी कुछ नहीं है
जब हनुमान उस दरार के भीतर गए तो उन्हें समझ में आया कि यह कोई दरार नहीं बल्कि सुरंग है जो नाग-लोक की ओर जाती है वहां जाकर वे नागों के राजा वासुकि से मिले वासुकि हनुमान को नाग-लोक के मध्य में ले गए और
अंगूठियों से भरा एक विशाल पहाड़ दिखाते हुए कहा कि यहां आपको आपकी अंगूठी मिल जाएगी उस पर्वत को देख हनुमान कुछ परेशान हो गए और सोचने लगे कि इस विशाल ढेर में से श्री राम की अंगूठी खोजना तो कूड़े के ढेर से सूई निकालने के समान है।
लेकिन जैसे ही उन्होंने पहली अंगूठी उठाई तो वह श्री राम की ही थी लेकिन अचंभा तब हुआ जब दूसरी अंगूठी उठाई, क्योंकि वह भी भगवान राम की ही थी यह देख भगवान हनुमान को एक पल के लिए समझ ना आया कि उनके साथ क्या हो रहा है इसे देख वासुकि मुस्कुराए और समझाने लगे
वे बोले कि पृथ्वी लोक एक ऐसा लोक है जहां जो भी आता है उसे एक दिन वापस लौटना ही होता है। उसके वापस जाने का साधन कुछ भी हो सकता है। ठीक इसी तरह श्रीराम भी पृथ्वी लोक को छोड़ एक दिन विष्णु लोक वापस आवश्य जाएंगे। वासुकि की यह बात सुनकर भगवान हनुमान को सारी बातें समझ में आने लगीं। उनका अंगूठी ढूंढ़ने के लिए आना और फिर नाग-लोक पहुंचना, यह सब श्री राम का ही फैसला था।
वासुकि की बताई बात के अनुसार उन्हें यह समझ आया कि उनका नाग-लोक में आना केवल श्री राम द्वारा उन्हें उनके कर्तव्य से भटकाना था ताकि काल देव अयोध्या में प्रवेश कर सकें और श्री राम को उनके जीवनकाल के समाप्त होने की सूचना दे सकें। अब जब वे अयोध्या वापस लौटेंगे तो श्रीराम नहीं होंगे और श्रीराम नहीं तो दुनिया भी कुछ नहीं है
Agar ram bhgavan vishnu lok chle gye to
ReplyDeleteBhagavan hanumaan kha gye