बच्चों में माता-पिता से फैलने वाले दुष्प्रभाव Bacho Learn Kids


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सवाल और विवशताएं अनेक हैं, लेकिन समाधान केवल एक ही है, बच्चों के रोल मॉडल बनें। चिल्लाने, धमकाने और ज्यादा सख्ती से पेश आने से कुछ नहीं होगा, बल्कि खुद को जागरूक बनाते हुए बच्चों के लिए रोल मॉडल बनना होगा। जिसका मतलब है, कि आप पहले खुद अपने आप को समझें, फिर बच्चों की जरूरतों को, फिर अपने और अपने परिवार के हित के लिए स्वयं में परिवर्तन लाएं। बच्चों का उदास और मुरझाया चेहरा आपसे देखा नहीं जाता, इसलिए बच्चों की जि़द के आगे आप हार जाते हैं और आप फिर से बच्चों को वही सब करने देते हंै, जिन मुद्दों पर आप सख्त थे। आपका यही रवैया बच्चों के अंदर द्वंद पैदा करता है, वह गहरी सोच में चला जाता है कि उसके माता-पिता ने पहले जो किया वो सही था कि जो बाद में किया वो। इस तरह के कंफ्यूजन भी काफी हद तक मोटापे की वजह बन सकते हैं।

बच्चों की आदतों में आसानी से बदलाव लाया जा सकता है, लेकिन एक अच्छा रोल मॉडल बनकर। आपको उनके साथ ज्यादा से ज्यादा और अच्छे से अच्छा समय बिताना चाहिए, उनको प्यार से समझाएं व प्रेरित कीजिए।

सेहतमंद थाली परोसे :
जंक फूड्स में फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व कम होते हैं। इसलिए हमेशा हेल्दी थाली परोसें।
बाहर खेलने को प्रेरित करें : मैदान में खेलने से रक्त प्रवाह तेज होता है जोे बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास करता है।

मेडिकल रिसर्च में आया सामने 

एडिनबर्ग स्लीप सेंटर के डॉक्टर क्रिस ने बताया कि जो टीनएजर्स देरी से सोते हैं, वे बच्चे दूसरों की तुलना में नियमित और ज्यादा जंक फूड्स का सेवन करते हैं। ज्यादा देरी और कम सोने से बच्चों में चिड़चिड़ापन और निर्णय लेने की क्षमता में कमी देखने को मिलती है। इसी प्रकार ज्यादा टीवी देखने और मोटापे में भी सीधा संबंध है। जिन बच्चों के बेड रूम में टीवी होता है, वे बच्चे मोटापे के शिकार जल्दी होते हैं। ज्यादा टीवी देखने वाले बच्चे स्नैक्स और जंक फूड भी ज्यादा खाते हैं। हाई फाइबर की वजह से उन्हें यह महसूस ही नहीं होता कि उनका पेट भर गया है, इसलिए वे लगातार खाते रहते हैं।

बच्चों के मोटापे की वजह 

शरीर की सहन शक्ति और इम्यूनिटी क्षमता एक जैसी नहीं होती। हमें बच्चों में बढ़ते मोटापे के कारणों को समझना होगा। मोटापे के मुख्य कारण हैं अस्वस्थ पोषण, खेलकूद और फिजिकल एक्टिविटी की कमी, पढ़ाई का दबाव, गलत पैरेंटल दृष्टिकोण, टीवी और टेक्नॉलाजी का प्रयोग, बच्चों का अकेलापन और नींद की कमी।

मोटापे का प्रभाव 

बच्चों में मोटापे के कारण शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ते हैं। शारीरिक प्रभाव जैसे इंसुलिन रेसिसटेंस (Insulin Resistance), डायबिटीज, pcos (लड़कियों) में, हाइपरटेंशन, हृदय रोग और मानसिक प्रभाव जैसे बच्चों के आत्म सम्मान में कमी, डिप्रेशन, याद करने की क्षमता में कमी, चिंतित होना और भावुक दिखना आदि। मोटापे के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसी वजह से वे अपने बच्चों को इससे बचाने के लिए उनसे सख्ती से पेश आते हैं। उन पर चिल्लाते हैं, और धमकाते भी हैं। उन्हें टीवी, वीडियो गेम, मोबाइल आदि से दूर रखते हैं। साथ ही उन्हें पोषण आहार भी सख्ती से खिलाने का प्रयास करते हैं, उन्हंे अनुशासन में रहने के लिए डांटते हैं। माता-पिता का यह व्यवहार बच्चों के अंदर डर पैदा कर देता है, बच्चे अपने माता-पित से दूर होने लगते हैं, वे खुद को अकेला महसूस करते हुए कहीं और ही खोए रहते हैं। आजकल बहुत सारे बच्चे इस वजह से भी अकेले रहते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता दोनों काम पर जाते हैं, इस तरह सहमे और अकेले रहने वाले बच्चे जंक फूड की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। ऐसे में डर भी उनके मोटापे की वजह बन सकता हैं।  

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