कहानियां जरूर पढियेगा Hindi heart touching Kahaniyan



दो दोस्त आपस में बात कर रहे थे..
एक दोस्त ने कहा - मेरा छोटा सा परिवार है। पत्नी है , दो
बच्चे और माँ - बाप है । माँ बाप भी हमारे साथ रहते है।
दुसरे दोस्त ने कहा - मेरा भी एक छोटा सा परिवार है l
पत्नी है , दो बच्चे हैं ,माँ - बाप है ।
हम अपने माँ - बाप के साथ रहते हैं ।
गौर कीजिए दोनों वाक्यों का अर्थ
एक ही है लेकिन दोनों के भावार्थ में फूल और पत्थर का
अन्तर है...


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सर्दियों के मौसम में एक बूढी औरत अपने घर
के कोने में ठंड से तड़फ रही थी।।
जवानी में
उसके पति का देहांत हो गया था घर में एक
छोटा बेटा था, उस बेटे के उज्जवल भविष्य के
लिए
उस माँ ने घर-घर जाकर काम किया काम करते-2
वो बहुत थक जाती थी, लेकिन फिर
भी आराम
नही करती थी वो सोचती
थी जिस
दिन
बेटा लायक हो जाएगा उस दिन आराम करूंगी।। ..
देखते-2 समय बीत गया!
माँ बूढी हो गयी और बेटे
को अच्छी नौकरी मिल गयी।
कुछ समय बाद बेटे
की शादी कर दी और एक
बच्चा हो गया।
अब बूढी माँ खुश थी कि बेटा लायक
हो गया
.......
लेकिन ये क्या
.......
बेटे व बहू के पास माँ से बात करने तक
का वक़्त नही होता था
बस ये फर्क पड़ा था माँ के जीवन में पहले वह
बाहर के लोगो के बर्तन व कपड़े
धोती थी। अब
अपने घर में बहू-बेटे के...
फिरभी खुश थी क्योंकि औलाद
उसकी थी
सर्दियों के मौसम में एक टूटी चारपाई पर,
बिल्कुल बाहर वाले कमरें में एक फटे से
कम्बल में सिमटकर माँ लेटी थी!
.
और सोच रही थी
.
आज बेटे को कहूँगी तेरी माँ को बहुत
ठंड
लगती है एक नया कम्बल ला दे।। शाम को बेटा घर
आया तो माँ ने बोला... बेटा मै बहूत
बूढी हो गयी हूँ, शरीर में
जान नही है, ठंड सहन
नही होती मुझे नया कम्बल ला दे।। ..
तो बेटा गुस्से में बोला, इस महीने घर के राशन
में और बच्चे के एडमिशन में बहुत
खर्चा हो गया! कुछ पैसे है पर तुम्हारी बहू के
लिए शॉल लाना है वो बाहर जाती है। तुम तो घर
में रहती हो सहन कर सकती हो।।
ये सर्दी निकाल लो, अगले साल ला दुंगा।। ..
बेटे की बात सुनकर माँ चुपचाप सिमटकर कम्बल
में सो गयी
अगले सुबह देखा तो माँ इस दुनियाँ में
नही रही...
सब रिश्तेदार, पड़ोसी एकत्रित हुए, बेटे ने
माँ की अंतिम यात्रा में कोई
कमी नही छोड़ी थी।
माँ की बहुत
अच्छी अर्थी सजाई थी!
बहुत महंगा शॉल माँ को उढाया था।।
सारी दुनियां अंतिम संस्कार देखकर कह
रही थी।
हमको भी हर जन्म में भगवान
ऐसा ही बेटा मिले!
..
..
मगर उन लोगो को क्या पता था कि मरने के बाद
भी एक
माँ तडफ रही थी।।।
..
सिर्फ एक कम्बल के लिए सिर्फ एक कम्बल के
लिए..... मेरा उद्देस्य इन्सानो के अंदर मर
चुकी इंसानियत को जिंदा करना है ।
अगर मेरी कहानी आपके दिल को छु
गयी हो तो अपने सभी दोस्तो को भेजो ।
हो सकता है ऐसे बहू बेटा हमारे
दोस्तो मे भी हो। जिनहे इस बात का एहसास


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किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे और बहु के साथ रहता था । परिवार सुखी संपन्न था किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी । बूढ़ा बाप जो किसी समय अच्छा खासा नौजवान था आज बुढ़ापे से हार गया था, चलते समय लड़खड़ाता था लाठी की जरुरत पड़ने लगी, चेहरा झुर्रियों से भर चूका था बस अपना जीवन किसी तरह व्यतीत कर रहा था।

घर में एक चीज़ अच्छी थी कि शाम को खाना खाते समय पूरा परिवार एक साथ टेबल पर बैठ कर खाना खाता था । एक दिन ऐसे ही शाम को जब सारे लोग खाना खाने बैठे । बेटा ऑफिस से आया था भूख ज्यादा थी सो जल्दी से खाना खाने बैठ गया और साथ में बहु और एक बेटा भी खाने लगे । बूढ़े हाथ जैसे ही थाली उठाने को हुए थाली हाथ से छिटक गयी थोड़ी दाल टेबल पे गिर गयी । बहु बेटे ने घृणा द्रष्टि से पिता की ओर देखा और फिर से अपना खाने में लग गए।

बूढ़े पिता ने जैसे ही अपने हिलते हाथों से खाना खाना शुरू किया तो खाना कभी कपड़ों पे गिरता कभी जमीन पर । बहु चिढ़ते हुए कहा – हे राम कितनी गन्दी तरह से खाते हैं मन करता है इनकी थाली किसी अलग कोने में लगवा देते हैं , बेटे ने भी ऐसे सिर हिलाया जैसे पत्नी की बात से सहमत हो । बेटा यह सब मासूमियत से देख रहा था ।

अगले दिन पिता की थाली उस टेबल से हटाकर एक कोने में लगवा दी गयी । पिता की डबडबाती आँखे सब कुछ देखते हुए भी कुछ बोल नहीं पा रहीं थी। बूढ़ा पिता रोज की तरह खाना खाने लगा , खाना कभी इधर गिरता कभी उधर । छोटा बच्चा अपना खाना छोड़कर लगातार अपने दादा की तरफ देख रहा था । माँ ने पूछा क्या हुआ बेटे तुम दादा जी की तरफ क्या देख रहे हो और खाना क्यों नहीं खा रहे । बच्चा बड़ी मासूमियत से बोला – माँ मैं सीख रहा हूँ कि वृद्धों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, जब मैं बड़ा हो जाऊँगा और आप लोग बूढ़े हो जाओगे तो मैं भी आपको इसी तरह कोने में खाना खिलाया करूँगा ।

बच्चे के मुँह से ऐसा सुनते ही बेटे और बहु दोनों काँप उठे शायद बच्चे की बात उनके मन में बैठ गयी थी क्युकी बच्चा ने मासूमियत के साथ एक बहुत बढ़ा सबक दोनों लोगो को दिया था ।
बेटे ने जल्दी से आगे बढ़कर पिता को उठाया और वापस टेबल पे खाने के लिए बिठाया और बहु भी भाग कर पानी का गिलास लेकर आई कि पिताजी को कोई तकलीफ ना हो ।

तो मित्रों , माँ बाप इस दुनियाँ की सबसे बड़ी पूँजी हैं आप समाज में कितनी भी इज्जत कमा लें या कितना भी धन इकट्ठा कर लें लेकिन माँ बाप से बड़ा धन इस दुनिया में कोई नहीं है यही इस कहानी की शिक्षा है और मैं आशा करता हूँ मेरा इस कहानी को लिखना जरूर सार्थक होगा


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The Truth of Life

बहु ने आइने मेँ लिपिस्टिक ठिक
करते हुऐ
कहा -:
"माँ जी, आप
अपना खाना बना लेना,
मुझे और इन्हें आज एक
पार्टी में जाना है ...!!
"बुढ़ी माँ ने कहा -: "बेटी मुझे
गैस वाला
चुल्हा चलाना नहीं आता ...!!
"तो बेटे ने कहा -:
"माँ, पास वाले मंदिर में आज
भंडारा है ,
तुम वहाँ चली जाओ
ना खाना बनाने की कोई
नौबत
ही नहीं आयेगी....!!!
"माँ चुपचाप अपनी चप्पल पहन
कर मंदिर
की ओर
हो चली.....
यह पुरा वाक्या 10 साल
का बेटा रोहन सुन
रहा था |
पार्टी में जाते वक्त रास्ते में
रोहन ने अपने
पापा से
कहा -:
"पापा, मैं जब बहुत
बड़ा आदमी बन जाऊंगा ना
तब मैं भी अपना घर
किसी मंदिर के पास
ही बनाऊंगा ....!!!
माँ ने उत्सुकतावश पुछा -:
क्यों बेटा ?
....रोहन ने जो जवाब दिया उसे
सुनकर उस बेटे
और बहु
का सिर शर्म से नीचे झुक
गया जो
अपनी माँ को मंदिर में छोड़ आए
थे.....
रोहन ने कहा -: क्योंकि माँ,
जब मुझे भी किसी दिन
ऐसी ही किसी
पार्टी में
जाना होगा तब तुम
भी तो किसी मंदिर में
भंडारे में खाना खाने जाओगी ना
और मैं
नहीं चाहता कि तुम्हें कहीं दूर
के मंदिर में
जाना पड़े....!!!!
पत्थर तब तक सलामत है
जब तक
वो पर्वत से जुड़ा है .
पत्ता तब तक सलामत
है जब तक वो पेड़ से जुड़ा है
. इंसान तब तक
सलामत है
जब तक वो परिवार से
जुड़ा है .
क्योंकि परिवार से अलग होकर
आज़ादी तो मिल जाती है
लेकिन संस्कार चले
जाते हैं ..
एक कब्र पर लिखा था...
"किस को क्या इलज़ाम दूं
दोस्तो...,
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने
थे,
और दफनाने वाले
भी अपने थे..
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