अनार की खेती कर लाखों के फायदे पैदावार विधि


सेंधवा(भोपाल). महाराष्ट्र में फलों की खेती से प्रेरणा लेकर पथरीली जमीन पर फलों की खेती की संभावना तलाशी। जानकारियां जुटाने के बाद खेत के करीब 5 एकड़ में अनार लगाने का मन बनाया।

 रिस्क बड़ा था तो तैयारी भी उसी तरह करना थी। महाराष्ट्र के शिर्डी की लेब से मिट्‌टी परीक्षण कराया। इसके बाद खेत में गोबर खाद मिलाकर मिट्‌टी को अनार के बगीचे के लिए तैयार किया।

महाराष्ट्र के ही मालेगांव की नर्सरी से 2000 पौधे बुलाए। 28 महीने बाद फल आना शुरू हो गए। पहली बार में 60 क्विंटल अनार निकला है। एक अनार का वजन 500 ग्राम है।

अभी तक 5 लाख की लागत आई है। पहली बार में ही 4 लाख की आमदनी हाे चुकी है। दूसरे सीजन से हर 9 महीने में फल आने लगते हैं। सीजनवार उत्पादन बढ़ता रहता है।


ऐसे करते हैं खेती

मिट्‌टी परीक्षण करने के बाद जमीन तैयार कर गोबर खाद डाला जाता है। 10 बाय 12 के फीट के ब्लॉक में 4 पौधे रोपे जाते हैं। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम लगाते हैं। कीट से बचाने के लिए मोनो पोटोफार्म का स्प्रे करते हैं। 18 महीने में पौधा परिपक्व हो जाता है। फूल आने के बाद 6 महीने में फल लगते हैं। इस बीच 8 से 10 दिन तक कीटनाशक का स्प्रे करते हैं।


ये फायदा

10 बाय 12 की फीट में अनार पौधे लगने से इनके बीच खाली जगह पर एक साल तक सोयाबीन, मिर्ची, तुरई जैसी अन्य फसलें ले सकते हैं।

 ड्रिप से पानी कम लगता है।
 मजदूरी भी कम लगती है
 बार-बार सिंचाई जरूरी नहीं।
 कीटाें का प्रकोप कम।
 अन्य फसलों से मुनाफा ज्यादा।

बांग्लादेश तक पहुंचा
व्यापारी इनसे अनार खरीदकर कोलकाता से बांग्लादेश तक एक्सपोर्ट कर रहे हैं। भारत के अनार की बांग्लादेश व अन्य देशों में मांग है।

विकास ने 1100 पौधे लगाए
बलवाड़ी निवासी किसान विकास पालीवाल ने भी ढाई साल पहले सवा तीन एकड़ में अनार के 1100 पौधे लगाए थे। इंदौर कृषि भ्रमण के दौरान आइडिया मिला था। किसानों ने डराया था कि फलों की खेती नुकसानदायक है, लेकिन उन्होंने रिस्क उठाई और उन्हें सफलता मिली। वे एक बार फसल ले चुके हैं

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