पीवी सिंधु 5 बाते वर्ल्ड विजेता कैसे बनी जीवन परिचय pv sindhu best in the career matter biography
5 March 2020
Information about pv sindhu best in her career देश भारत को पुरुष प्रधान देश कहा जाता हे पर अब बेटियां परिवार ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम विश्व स्तर पर रोशन कर रही हैं ऐसे ही एक शख्सियत है पीवी सिंधु आइए जानते हैं पीवी सिंधु की कुछ ऐसी बातें जो आप लोगों को नहीं है पता
2016 में जब रियो ओलंपिक गेम्स का फाइनल हारने के बाद उनके बारे में कहा जाने लगा कि वह देश के लिए गोल्ड मेडल नहीं जीत सकती 17 और 18 में भी टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंची थी लेकिन दोनों ही मौकों पर उन्हें हार मिली और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा 2017 में उन्हें जापान की उसी खिलाड़ी ने फाइनल में हराया जिससे हराकर इस बार वर्ल्ड चैंपियन बनी
मई 2019 में बनी मेंस सिंगल्स की वर्ल्ड रैंकिंग में सिंधु अब पांचवें स्थान पर हैं आज पूरा देश जश्न मना रहा है क्योकि महिला बैडमिंटन में भारत पहली बार विश्व विजेता बनकर के वर्ल्ड कप वर्ल्ड चैंपियनशिप बैडमिंटन का खिताब जीता जो पहली बार हुआ है
पी वी सिंधु कोच गोपीचंद ने कहा कि बहुत खेली जिससे हम भारतवासी पीवी सिंधु के इस किताब से गर्व महसूस करता हूं इतिहास रचा है साथ-साथ आने वाले नई पीढ़ियों के लिए भी एक संदेश दिया
वर्ष 2000 में ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन स्टार्ट किया था पीवी सिंधु ने
पीवी सिंधु को World Badminton Championship winner 2019 बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी सिंधु की कामयाबी की पांच वजह बताएंगे यह 5 बजय आपके लिए सफलता के पांच सूत्र भी साबित हो सकते हैं और अगर आपके परिवार में इस वक्त युवा हों तो उन्हें यह जरूर बताये
1# कड़ा परिश्रम क्योंकि कड़े परिश्रम का कोई शॉर्टकट नहीं होता सिंधु ने 13 वर्ष की उम्र से खेलना शुरू किया 17 साल की उम्र में उन्होंने इंटरनेशनल डेब्यु किया इस दौरान उन्होंने अपनी पुरानी कमियों को ध्यान में रखकर और उससे उबर कर लगातार कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस दी निरंतर अभ्यास किया वह भी पुरुष खिलाड़ियों के खिलाफ मैच खेलकर और यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने लगातार मैदान में लड़ने की क्षमता जागृत की जो कड़ी मेहनत से सींचना पड़ती है
2# त्याग और बलिदान खुद को व्यस्त रखती थी दोस्तों से कम बात करती थी मोबाइल फोन से दूरी बना कर रखती थी अनुशासित रहती थी सिंधु ने अपने पूरे जीवन में बहुत सारे त्याग और बलिदान किया अपने खेल पर ध्यान दिया और यही वजह है कि आज वह वर्ल्ड चैंपियन है
3# गुरु शिष्य परंपरा इस जीत के पीछे पीवी सिंधु आज 24 वर्ष की है लेकिन जब वह 10 साल की थी तब उनके पिता उन्हें गोपीचंद के पास लेकर गए थे जो उनके मौत कड़ी ट्रेनिंग दी और सिंधु की सफलता गोपीचंद की ट्रेनिंग का ही नतीजा है
इसे आप गुरु शिष्य परंपरा का सबसे बेहतरीन उदाहरण कह सकते हैं क्योंकि दोनों को एक दूसरे पर भरोसा था गोपीचंद को आधुनिक युग के द्रोणाचार्य भी कह सकते हैं उदाहरण के तौर पर 2016 में रियो ओलंपिक की तैयारियों की बात करते हैं
4#मानसिक दृढ़ता कोच गोपीचंद ने पीवी सिंधु को सोशल मीडिया से भी बिल्कुल दूर कर दिया था गोपीचंद ने बताया कि शुरू में बहुत सी थी अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाती थी तो Kab tak badminton racket Nahin Denge jab tak चिलाओगी नहीं जो की पीवी सिंधु को मानसिक रूप से बहुत मजबूत बनाया और इसी मानसिक दृढ़ता की बदौलत उन्होंने वर्ल्ड रैंकिंग में उनके एक स्थान ऊपर जापान की खिलाड़ी को इस बार हरा दिया खेल में शारीरिक रूप से तैयारी तो बहुत जरूरी होती है लेकिन दिमाग की तैयारी भी उतनी ही जरूरी होती है
5# उत्साह से और कॉन्फिडेंस अब भारत का हौसला दिखता है जो दुश्मनों के घर में घुसकर एयर स्ट्राइककरता है और विदेशों में जाकर बैडमिंटन कोर्ट में खतरनाक मछली मारता है वरना कुछ समय पहले तक हमारे देश में लोगों को यकीन नहीं होता था कि बैडमिंटन जैसे इंडिविजुअल इवेंट में कभी कोई भारतीय दी वर्ल्ड चैंपियन बन सकता है लेकिन इस पीढ़ी के जो भारतीय हैं वह उत्साह से और कॉन्फिडेंस से भरे हुए हैं और वह वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं
वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद पीवी सिंधु की पहली प्रतिक्रिया थी कि उन्होंने यह टूर्नामेंट देश के लिए जीता और उन्हें एक हिंदुस्तानी होने पर गर्व है मेडल सेरिमनी के दौरान उनके सामने तिरंगा लहरा रहा था और भारत का राष्ट्रगान बज रहा था उन तस्वीरों की व्याख्या करते हुए सिंधु ने कहा कि उस वक्त अपने आंसू रोक नहीं पाए
2016 में जब रियो ओलंपिक गेम्स का फाइनल हारने के बाद उनके बारे में कहा जाने लगा कि वह देश के लिए गोल्ड मेडल नहीं जीत सकती 17 और 18 में भी टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंची थी लेकिन दोनों ही मौकों पर उन्हें हार मिली और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा 2017 में उन्हें जापान की उसी खिलाड़ी ने फाइनल में हराया जिससे हराकर इस बार वर्ल्ड चैंपियन बनी
Pv sindhu ranking
मई 2019 में बनी मेंस सिंगल्स की वर्ल्ड रैंकिंग में सिंधु अब पांचवें स्थान पर हैं आज पूरा देश जश्न मना रहा है क्योकि महिला बैडमिंटन में भारत पहली बार विश्व विजेता बनकर के वर्ल्ड कप वर्ल्ड चैंपियनशिप बैडमिंटन का खिताब जीता जो पहली बार हुआ है
पी वी सिंधु कोच गोपीचंद ने कहा कि बहुत खेली जिससे हम भारतवासी पीवी सिंधु के इस किताब से गर्व महसूस करता हूं इतिहास रचा है साथ-साथ आने वाले नई पीढ़ियों के लिए भी एक संदेश दिया
पीवी सिंधु ने कब और किस से प्रभावित होकर बैडमिंटन खेला
वर्ष 2000 में ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन स्टार्ट किया था पीवी सिंधु ने
पीवी सिंधु को World Badminton Championship winner 2019 बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी सिंधु की कामयाबी की पांच वजह बताएंगे यह 5 बजय आपके लिए सफलता के पांच सूत्र भी साबित हो सकते हैं और अगर आपके परिवार में इस वक्त युवा हों तो उन्हें यह जरूर बताये
Pv sindhu winning moment 5 facts
1# कड़ा परिश्रम क्योंकि कड़े परिश्रम का कोई शॉर्टकट नहीं होता सिंधु ने 13 वर्ष की उम्र से खेलना शुरू किया 17 साल की उम्र में उन्होंने इंटरनेशनल डेब्यु किया इस दौरान उन्होंने अपनी पुरानी कमियों को ध्यान में रखकर और उससे उबर कर लगातार कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस दी निरंतर अभ्यास किया वह भी पुरुष खिलाड़ियों के खिलाफ मैच खेलकर और यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने लगातार मैदान में लड़ने की क्षमता जागृत की जो कड़ी मेहनत से सींचना पड़ती है
2# त्याग और बलिदान खुद को व्यस्त रखती थी दोस्तों से कम बात करती थी मोबाइल फोन से दूरी बना कर रखती थी अनुशासित रहती थी सिंधु ने अपने पूरे जीवन में बहुत सारे त्याग और बलिदान किया अपने खेल पर ध्यान दिया और यही वजह है कि आज वह वर्ल्ड चैंपियन है
3# गुरु शिष्य परंपरा इस जीत के पीछे पीवी सिंधु आज 24 वर्ष की है लेकिन जब वह 10 साल की थी तब उनके पिता उन्हें गोपीचंद के पास लेकर गए थे जो उनके मौत कड़ी ट्रेनिंग दी और सिंधु की सफलता गोपीचंद की ट्रेनिंग का ही नतीजा है
इसे आप गुरु शिष्य परंपरा का सबसे बेहतरीन उदाहरण कह सकते हैं क्योंकि दोनों को एक दूसरे पर भरोसा था गोपीचंद को आधुनिक युग के द्रोणाचार्य भी कह सकते हैं उदाहरण के तौर पर 2016 में रियो ओलंपिक की तैयारियों की बात करते हैं
4#मानसिक दृढ़ता कोच गोपीचंद ने पीवी सिंधु को सोशल मीडिया से भी बिल्कुल दूर कर दिया था गोपीचंद ने बताया कि शुरू में बहुत सी थी अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाती थी तो Kab tak badminton racket Nahin Denge jab tak चिलाओगी नहीं जो की पीवी सिंधु को मानसिक रूप से बहुत मजबूत बनाया और इसी मानसिक दृढ़ता की बदौलत उन्होंने वर्ल्ड रैंकिंग में उनके एक स्थान ऊपर जापान की खिलाड़ी को इस बार हरा दिया खेल में शारीरिक रूप से तैयारी तो बहुत जरूरी होती है लेकिन दिमाग की तैयारी भी उतनी ही जरूरी होती है
5# उत्साह से और कॉन्फिडेंस अब भारत का हौसला दिखता है जो दुश्मनों के घर में घुसकर एयर स्ट्राइककरता है और विदेशों में जाकर बैडमिंटन कोर्ट में खतरनाक मछली मारता है वरना कुछ समय पहले तक हमारे देश में लोगों को यकीन नहीं होता था कि बैडमिंटन जैसे इंडिविजुअल इवेंट में कभी कोई भारतीय दी वर्ल्ड चैंपियन बन सकता है लेकिन इस पीढ़ी के जो भारतीय हैं वह उत्साह से और कॉन्फिडेंस से भरे हुए हैं और वह वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं
pv sindhu vs nozomi okuhara full match
pv sindhu hot pic pv sindhu religion, pv sindhu hometown caste pv sindhu olympic medal jati p v sindhu final match 2019, pv sindhu full name in hindi P. V. Sindhu Family, Height Age, Boyfriend, Biography pv sindhu state