जयविलास पैलेस 400 कमरों का महल gwalior
27 September 2015
ग्वालियर। कभी देश की सबसे बड़ी रियासतों में शुमार रही ग्वालियर रियासत के आखिरी शासक सिंधिया राजवंश की मौजूदा पीढ़ी यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनका परिवार जयविलास पैलेस में रहते हैं । 1874 में बनाई गई इस इमारत पर उस वक्त करीब एक करोड़ रुपए की लागत आई थी।
इस महल में 400 कमरे हैं। इमारत के 40 कमरों के एक हिस्से को अब म्यूजियम का रूप दे दिया गया है। जीवाजी राव सिंधिया म्यूजियम में सिंधिया राजवंश और ग्वालियर की ऐतिहासिक विरासत को सहेज कर रखा गया है। किसी हॉल में राजसी शान लाना हो तो छत पर झाड़-फानूस का होना जरूरी है। जयविलास पैलेस के रॉयल दरबार हॉल की छत से 140 साल से टंगा साढ़े तीन टन का ये झूमर, सुनने में ही नहीं देखने के बाद भी आज के जमाने में अजूबा लगता है। ग्वालियर के जयविलास पैलेस के इस हॉल में ऐसे झाड़-फानूस जोड़े में टंगे हैं। दुनिया के सबसे बड़े झाड़-फानूसों में शुमार ये फानूस महाराजा जयाजी राव ने खास तौर पर बेल्जियम कारीगरों से बनवाए थे।
पेरिस से आए थे फानूस, हाथी चढा कर जांची गई मजबूती
जयविलास पैलेस सिंधिया राजवंश का आधिकारिक निवास है। इसका एक बड़ा हिस्सा म्यूजिम में तब्दील किया जा चुका है। इसी के रॉयल दरबार हॉल में सिंधिया शासकों का दरबार लगता था। वर्ष 1874 में बने इस पैलेस के दरबार हॉल की छत पर ही इन झाड़-फानूसों को पेरिस से लाकर यहां टांगा गया था। टांगने से पहले इंजीनियरों ने हॉल की छत की मजबूती जांचने के लिए दस हाथियों को ऊपर चढ़ाया और लगातार एक हफ्ते तक इन्हें छत पर चलाकर देखा गया। तब 3.5 टन वजनी झाड़ फानूस को एसेंबल करके छत पर टांगा गया।
डाइनिंग हॉल में चांदी की ट्रेन परोसती है खाना
शाही मेहमानों की आवभगत के लिए महाराजा जयाजी राव सिंधिया ने कुछ अलग करने के मकसद से दुनिया की मशहूर हॉस्पिटलिटी कंपनियों से आइडियाज मंगाए थे। उनमें से उन्हें चांदी की छोटी-सी ट्रेन का विचार सबसे ज्यादा पसंद आया। उस जमाने में आगे के जमाने की मानी जाती रही चांदी की बनी ये ट्रेन डाइनिंग टेबल पर बिछाई गई पटरियों पर शाही गति से चलती है। इसमें बेवरीज, इनर्जी ड्रिंक्स, फास्टफूड्स व सिगार स्टोर रहते हैं। जिसे जरूरत होती हैं, वह ट्रेन के ऊपर लगे कवर को खोलता है तो ट्रेन रुक जाती है। जरूरत पूरी होने पर जैसे ही मेहमान उसके कवर को बंद करता है, ट्रेन फिर आगे चल देती हैजयविलास पैलेस सिंधिया राजवंश का आधिकारिक निवास है। इसका एक बड़ा हिस्सा म्यूजिम में तब्दील किया जा चुका है। इसी के रॉयल दरबार हॉल में सिंधिया शासकों का दरबार लगता था। वर्ष 1874 में बने इस पैलेस के दरबार हॉल की छत पर ही इन झाड़-फानूसों को पेरिस से लाकर यहां टांगा गया था। टांगने से पहले इंजीनियरों ने हॉल की छत की मजबूती जांचने के लिए दस हाथियों को ऊपर चढ़ाया और लगातार एक हफ्ते तक इन्हें छत पर चलाकर देखा गया। तब 3.5 टन वजनी झाड़ फानूस को एसेंबल करके छत पर टांगा गया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया पत्नी प्रियदर्शिनी राजे के साथ