कंप्यूटर सीखें Class 4 कैसे काम करता हे चलते है computer kaise chalaye
2 November 2020
चालू होते ही कम्प्यूटर क्या करता है!
जब आप स्टार्ट बटन (start button) दबा कर अपने कम्प्यूटर (computer) को चालू करते हैं तो कम्प्यूटर (computer) में सिलसिलेवार प्रक्रियाएँ आरम्भ हो जाती हैं जिसे किबूटिंग (booting) के नाम से जाना जाता है।
बूटिंग (booting) दो चरणों में होती है जिसके प्रथम चरण में कम्प्यूटर (computer) पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On Self Test)करता है अर्थात् स्वयं को जाँचता-परखता है और दूसरे चरण में आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) को लोड (Load) करता है।
कंप्यूटर सामान्य ज्ञान एवं यूजर गाइड
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कम्प्यूटर (computer) के सभी अवयव सही-सही कार्य कर रहे हैं इस बात को परखने कीएक श्रृंखलाबद्ध जांच प्रक्रिया (a series of tests) को पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On Self Test) कहा जाता है :
आपरेटिंग सिस्टम (operating system) लोड होना
जानिये आपरेटिंग सिस्टम के बारे में...
किसी कम्प्यूटर को चलाने में आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। दरअसल यह हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। कम्प्यूटर हमारी भाषा नहीं समझता, वह केवल मशीनी भाषा को ही समझता है जबकि हम कम्प्यूटर की भाषा को नहीं जानते। फिर हमारे और कम्प्यूटर के बीच सम्बंध को बनाये रखने वाला दुभाषिया कौन है? - यही अपना आपरेटिंग सिस्टम। यह हमारी भाषा को समझ कर उसे कम्प्यूटर की भाषा में बताता है और कम्प्यूटर की भाषा को हमारी भाषा में परिवर्तित कर के हमें समझाता है।
वैसे तो कोई भी व्यक्ति यह जाने बिना कि आपरेटिंग सिस्टम क्या है, कैसे कार्य करता है, इसकी उपयोगिता क्या है बड़ी आसानी के साथ कम्प्यूटर का प्रयोग कर सकता है किन्तु उसके लिये यह और भी अच्छी बात होगी कि वह इस बातों को जान ले।
आपरेटिंग सिस्टम क्या है
यह कहा जा सकता है कि कम्प्यूटर सिस्टम के हार्डवेयर रिसोर्सेस (Hardware Resources), जैसे- मेमोरी (Memory), प्रोसेसर (Processor) तथा इनपुट-आउटपुट डिवाइसेस (Input-Output Divices) को व्यवस्थित करने के लिये बनाया गया सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) ही आपरेटिंग सिस्टम होता है। यह व्यवस्थित रूप से जमे हुए सॉफ्टवेयर्स का समूह होता है जो कि आंकडो (data) एवं निर्देश (commands) को नियंत्रित करता है। कम्प्यूटर के प्रत्येक रिसोर्स की स्थिति का लेखा - जोखा आपरेटिंग सिस्टम ही रखता है, आपरेटिंग सिस्टम ही निर्णय करता है कि किसका, कब और कितनी देर के लिए कम्प्यूटर रिसोर्स पर नियंत्रण होगा।
आपरेटिंग सिस्टम क्यों आवश्यक है
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आपरेटिंग सिस्टम हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। इसके अलावा यह हार्डवेयर्स (Hardwares) तथा सॉफ्टवेयर्स (Softwares) के मध्य एक सेतु का कार्य भी करता है। आपरेटिंग सिस्टम के बिना कम्पयूटर का अपने आप मे कोई अस्तित्व ही नही है। यदि आपरेटिंग सिस्टम न हो तो कम्प्यूटर अपने हार्डवेयर्स जैसे कि कुंजीपटल (Keyboard), मानिटर (Monitor), सीपीयू (CPU) आदि के बीच कभी भी सम्बंध स्थापित नहीं कर पायेगा। आपरेटिंग सिस्टम किसी कम्प्यूटर प्रयोग करने वाले को इस जहमत से बचाता है कि वह कम्यूटर के समस्त भागो की जानकारी रखे।
आपरेटिंग सिस्टम के कार्य
आपरेटिंग सिस्टम अनेक प्रकार के उपयोगी कार्य करता है जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य नीचे दिये जा रहे हैं:
फाइल पद्धति (File System) - फाइल बनाना, मिटाना तथा फाइलों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना और फाइल निर्देशिका को व्यवस्थित करना।
प्रक्रिया (Processing) - कार्यक्रमों (Programs) और आँकडों (Data) को मेमोरी मे बाँटना, प्रक्रिया (Process) को आरम्भ करके समुचित रूप से चलाना।
इनपुट/आउटपुट (input/output) - सीपीयू और मानिटर (Monitor), प्रिंटर (Printer), डिस्क (Disk) आदि के बीच मध्यस्थता करना।
आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
वैसे तो विभिन्न कालों में विभिन्न आपरेटिंग सिस्टमों का निर्माण हुआ पर प्रमुख रूप से प्रयोग किये जाने वाले लोकप्रिय आपरेटिंग सिस्टम की सूची नीचे दी जा रही है:
कम्प्यूटर (computer) के सभी अवयव सही-सही कार्य कर रहे हैं इस बात को परखने कीएक श्रृंखलाबद्ध जांच प्रक्रिया (a series of tests) को पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On Self Test) कहा जाता है :
- सर्वप्रथम सी.पी.यू. (C.P.U.) अर्थात् सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (central processing unit) स्वयं को पुनर्स्थापित (reset) करता है।
- सी.पी.यू. (C.P.U.) स्वयं को जाँचता है और बयास (Bios) में स्थित मेमोरी (Memory) के प्रोग्राम्स (programs) को शुरू करता है।
- फिर बयास (bios) में स्थित कोड्स (codes) की सहायता से सभी घटकों (components) की जाँच करता है।
- फिर राइटिंग और रीडिंग (writing and reading) करके डीरैम (DRAM) की जाँच होती है।
- तत्पश्चात की-बोर्ड (keyboard) की जाँच होती है कि वह सही ढ़ंग से जुड़ा है या नही
- उसके बाद फ्लॉपी ड्राइव (floppy drive) और हार्ड ड्राइव (Hard drive)की जाँच की जाती है।
- फिर जाँच की जाती है कि माउस (mouse) जुड़ा है या नही।
- अंततः जाँच से प्राप्त डाटा (data) का बयास (bios) में कॉन्फिगर्ड डाटा (configured data) से मिलान किया जाता है।
- किसी भी प्रकार की गलती पाने पर कम्प्यूटर (computer) एरर मेसेज (error messege) देता है और यदि सभी कुछ ठीक-ठाक मिले तो आपरेटिंग सिस्टम (operating system) को लोड करने की प्रक्रिया आरंभ कर देता है।
आपरेटिंग सिस्टम (operating system) लोड होना
- सी.पी.यू. (C.P.U.) आपरेटिंग सिस्टम को फ्लॉपी (floppy), सी.डी. (CD) तथा हार्ड ड्राइव (hard drive) में खोजता है।
- आपरेटिंग सिस्टम के मिल जाने पर उसके भीतर स्थित बूट रेकार्ड को डीरैम (DRAM)में स्थानांतरित करता है।
- आपरेटिंग सिस्टम (operating system) के लोड हो जाने तक यह प्रक्रिया जारी रहती है।
- आपरेटिंग सिस्टम (operating system) पूर्णतः लोड हो जाने के बाद डेस्कटॉप दिखाई पड़ने लगता है और कम्प्यूटर (Computer) उपयोग करने लायक बन जाता है।
जानिये आपरेटिंग सिस्टम के बारे में...
किसी कम्प्यूटर को चलाने में आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। दरअसल यह हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। कम्प्यूटर हमारी भाषा नहीं समझता, वह केवल मशीनी भाषा को ही समझता है जबकि हम कम्प्यूटर की भाषा को नहीं जानते। फिर हमारे और कम्प्यूटर के बीच सम्बंध को बनाये रखने वाला दुभाषिया कौन है? - यही अपना आपरेटिंग सिस्टम। यह हमारी भाषा को समझ कर उसे कम्प्यूटर की भाषा में बताता है और कम्प्यूटर की भाषा को हमारी भाषा में परिवर्तित कर के हमें समझाता है।
वैसे तो कोई भी व्यक्ति यह जाने बिना कि आपरेटिंग सिस्टम क्या है, कैसे कार्य करता है, इसकी उपयोगिता क्या है बड़ी आसानी के साथ कम्प्यूटर का प्रयोग कर सकता है किन्तु उसके लिये यह और भी अच्छी बात होगी कि वह इस बातों को जान ले।
आपरेटिंग सिस्टम क्या है
यह कहा जा सकता है कि कम्प्यूटर सिस्टम के हार्डवेयर रिसोर्सेस (Hardware Resources), जैसे- मेमोरी (Memory), प्रोसेसर (Processor) तथा इनपुट-आउटपुट डिवाइसेस (Input-Output Divices) को व्यवस्थित करने के लिये बनाया गया सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) ही आपरेटिंग सिस्टम होता है। यह व्यवस्थित रूप से जमे हुए सॉफ्टवेयर्स का समूह होता है जो कि आंकडो (data) एवं निर्देश (commands) को नियंत्रित करता है। कम्प्यूटर के प्रत्येक रिसोर्स की स्थिति का लेखा - जोखा आपरेटिंग सिस्टम ही रखता है, आपरेटिंग सिस्टम ही निर्णय करता है कि किसका, कब और कितनी देर के लिए कम्प्यूटर रिसोर्स पर नियंत्रण होगा।
आपरेटिंग सिस्टम क्यों आवश्यक है
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आपरेटिंग सिस्टम हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। इसके अलावा यह हार्डवेयर्स (Hardwares) तथा सॉफ्टवेयर्स (Softwares) के मध्य एक सेतु का कार्य भी करता है। आपरेटिंग सिस्टम के बिना कम्पयूटर का अपने आप मे कोई अस्तित्व ही नही है। यदि आपरेटिंग सिस्टम न हो तो कम्प्यूटर अपने हार्डवेयर्स जैसे कि कुंजीपटल (Keyboard), मानिटर (Monitor), सीपीयू (CPU) आदि के बीच कभी भी सम्बंध स्थापित नहीं कर पायेगा। आपरेटिंग सिस्टम किसी कम्प्यूटर प्रयोग करने वाले को इस जहमत से बचाता है कि वह कम्यूटर के समस्त भागो की जानकारी रखे।
आपरेटिंग सिस्टम के कार्य
आपरेटिंग सिस्टम अनेक प्रकार के उपयोगी कार्य करता है जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य नीचे दिये जा रहे हैं:
फाइल पद्धति (File System) - फाइल बनाना, मिटाना तथा फाइलों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना और फाइल निर्देशिका को व्यवस्थित करना।
प्रक्रिया (Processing) - कार्यक्रमों (Programs) और आँकडों (Data) को मेमोरी मे बाँटना, प्रक्रिया (Process) को आरम्भ करके समुचित रूप से चलाना।
इनपुट/आउटपुट (input/output) - सीपीयू और मानिटर (Monitor), प्रिंटर (Printer), डिस्क (Disk) आदि के बीच मध्यस्थता करना।
आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
वैसे तो विभिन्न कालों में विभिन्न आपरेटिंग सिस्टमों का निर्माण हुआ पर प्रमुख रूप से प्रयोग किये जाने वाले लोकप्रिय आपरेटिंग सिस्टम की सूची नीचे दी जा रही है:
- लिनक्स (Linux)
- मैक एस (MacOS)
- एमएस डाज (MS-DOS)
- आईबीएम ओएश/2 (IBM OS/2)
- यूनिक्स (Unix)
- विन्डोज सीई (Windows CE)
- विन्डोज 3.x (Windows 3.x)
- विन्डोज 95 (Windows 95)
- विन्डोज 98 (Windows 98)
- विन्डोज 98 एस ई (Windows 98 SE)
- विन्डोज एमई (Windows ME)
- विन्डोज एनटी (Windows NT)
- विन्डोज 2000 (Windows 2000)
- विन्डोज एक्सपी (Windows XP)
- विन्डोज व्हिस्टा (Windows Vista)