आपातकाल में इंदिरा गांधी रोने पर मजबूर हो गईं थीं
2 November 2020
1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की। इसके अंतर्गत जेपी सहित 600 से भी ज्यादा सत्ता विरोधी नेताओं को बंदी बना लिया गया था। कुछ दिन बाद जेपी की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी जिसे देखते हुए सात महीने बाद उनको जेल से छोड़ दिया गया।
उन्होंने हार नहीं मानी और 1977 में सत्ता विरोधी लहर में उन्होंने इंदिरा गांधी का किला ढहा दिया और वो चुनाव हार गईं। इंदिरा गांधी युवाओं की आवाज दबाना चाहती थीं, जिसका नेतृत्व जेपी नारायण कर रहे थे। आपातकाल के बाद हुए चुनाव के बाद एक दफा, जेपी की वजह से ही इंदिरा गांधी रोने पर मजबूर हो गईं थीं। जेपी के आंदोलन का ही असर था कि इंदिरा गांधी को आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी।
उग्र हुआ जेपी का संपूर्ण आंदोलन
पांच जून 1974 से पहले जो हो रहा था वह प्रदर्शन भर था। पांच जून को वह जन आंदोलन में तब्दील हो गया। जेपी का प्रदर्शन छात्रों और युवाओं की कुछ मांगों तक सीमित था। तत्कालीन राज्य सरकार मान लेती तो प्रदर्शन जनआंदोलन का रूप नहीं लेता। सरकार की जिद की वजह से उम्र के आखिरी पड़ाव पर खड़े जेपी ने पांच जून 1974 को संपूर्णक्रांति का आह्वान कर दिया। जेपी ने घोषणा की कि भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना, ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं। ये इस व्यवस्था की ही देन हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए। सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए संपूर्ण क्रांति की जरूरत है।
पटना का गांधी मैदान
पांच जून 1974 की शाम को पटना के गांधी मैदान में लगभग पांच लाख लोगों की जनसभा में देश की गिरती हालत, प्रशासनिक भ्रष्टचार, महंगाई, बेरोजगारी, दिशाहीन शिक्षा प्रणाली के खिलाफ और प्रधानमंत्री द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए जेपी ने आम जनता से संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों से इस जन आंदोलन को सफल बनाने के लिए एक वर्ष तक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बंद रखने कहा। सात जून 1974 से बिहार विधान सभा भंग करो अभियान चलाए और विधायकों, मंत्रियों को रोकने के लिए विधानसभा के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान लाठी चार्ज गोलीबारी में कई लोग घायल हो गए। इस तरह से पटना के गांधी मैदान से शुरू हुआ आंदोलन संपूर्ण भारत में संपूर्ण क्रांति के रूप में बदल गया। 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के कदम ने आग में घी का काम किया। 1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। जयप्रकाश नारायण का जन्म 11, अक्टूबर 1902 को बिहार के भोजपुर बेल्ट में हुआ था। 8 अक्टूबर 1979 को जेपी का पटना में निधन हो गया।
अंग्रेजों से लोहा लियाउन्होंने हार नहीं मानी और 1977 में सत्ता विरोधी लहर में उन्होंने इंदिरा गांधी का किला ढहा दिया और वो चुनाव हार गईं। इंदिरा गांधी युवाओं की आवाज दबाना चाहती थीं, जिसका नेतृत्व जेपी नारायण कर रहे थे। आपातकाल के बाद हुए चुनाव के बाद एक दफा, जेपी की वजह से ही इंदिरा गांधी रोने पर मजबूर हो गईं थीं। जेपी के आंदोलन का ही असर था कि इंदिरा गांधी को आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी।
उग्र हुआ जेपी का संपूर्ण आंदोलन
पांच जून 1974 से पहले जो हो रहा था वह प्रदर्शन भर था। पांच जून को वह जन आंदोलन में तब्दील हो गया। जेपी का प्रदर्शन छात्रों और युवाओं की कुछ मांगों तक सीमित था। तत्कालीन राज्य सरकार मान लेती तो प्रदर्शन जनआंदोलन का रूप नहीं लेता। सरकार की जिद की वजह से उम्र के आखिरी पड़ाव पर खड़े जेपी ने पांच जून 1974 को संपूर्णक्रांति का आह्वान कर दिया। जेपी ने घोषणा की कि भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना, ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं। ये इस व्यवस्था की ही देन हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए। सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए संपूर्ण क्रांति की जरूरत है।
पटना का गांधी मैदान
पांच जून 1974 की शाम को पटना के गांधी मैदान में लगभग पांच लाख लोगों की जनसभा में देश की गिरती हालत, प्रशासनिक भ्रष्टचार, महंगाई, बेरोजगारी, दिशाहीन शिक्षा प्रणाली के खिलाफ और प्रधानमंत्री द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए जेपी ने आम जनता से संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों से इस जन आंदोलन को सफल बनाने के लिए एक वर्ष तक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बंद रखने कहा। सात जून 1974 से बिहार विधान सभा भंग करो अभियान चलाए और विधायकों, मंत्रियों को रोकने के लिए विधानसभा के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान लाठी चार्ज गोलीबारी में कई लोग घायल हो गए। इस तरह से पटना के गांधी मैदान से शुरू हुआ आंदोलन संपूर्ण भारत में संपूर्ण क्रांति के रूप में बदल गया। 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के कदम ने आग में घी का काम किया। 1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। जयप्रकाश नारायण का जन्म 11, अक्टूबर 1902 को बिहार के भोजपुर बेल्ट में हुआ था। 8 अक्टूबर 1979 को जेपी का पटना में निधन हो गया।
1940 में चाईबासा में भाषण देने पर उन्हेंं जमशेदपुर जेल में रखा गया। 1940 के अंत में रिहा हुए और 1941 में फिर गिरफ्तार कर देवली कैम्प जेल में रखा गया। 1942 में जयप्रकाश का क्रांतिकारी चेहरा देशभर के सामने आया। उन्होंने जेल में भूख हड़ताल की और उन्हें हजारीबाग जेल में रखा गया। यहां से वह दीपावली की रात को अपने पांच साथियों के साथ फरार होकर नेपाल चले गए और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तरह आजाद दस्ते का गठन किया। वे किसी भी तरह से भारत को आजाद करना चाहते थे। 18 सितंबर 1943 को उन्हें अमृतसर में गिरफ्तार किया गया और लाहौर जेल में रखा गया। सर्दियों में बर्फ की सिल्लियों पर लिटाकर प्रताड़ित किया गया। अप्रैल 1946 को उन्हें रिहा कर दिया गया।
गुदड़ी के लाल का संपूर्ण आंदोलन
देश में जब भी किसी बड़े आंदोलन की शुरुआत हुई तो उसका केंद्र बिहार रहा है। चाहे वो महात्मा गांधी द्वारा देश की आजादी के लिए शुरू किया गया आंदोलन हो या फिर जेपी का सन् 1974 का छात्र आंदोलन। 1974 में पहली बार उन्होंने किसानों के बिहार आंदोलन में राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की। इधर केंद्र में इंदिरा गांधी की नीतियों के खिलाफ भी उनके मन में आक्रोश था। बुजुर्ग हो चुके जयप्रकाश नारायण का शरीर उनकी हिम्मत का साथ नहीं दे रहा था। उनका हौसला इन सब पर हावी था और उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया।
news by- bhaskar