कर्मो का फल तो भगवान को भी भोगना पड़ता है


apne apne karmo ka phal kaise milta hai व्यक्ति का उत्थान वह पतन दोनों ही उसी के अंदर समावेश हे एक बार अपनी समीक्षा तो करिए, की हमे ईश्वर ने किस कार्य के लिए भेजा था ,और हम क्या कर रहेI

व्यक्ति यदि गिरना चाहे तो उसे किसी भी प्रयास की आवश्यकता नहीं। परंतु यदि ऊपर उठना है तो प्रयास करना पड़ता है I

जिस प्रकार पानी को ऊपर से नीचे गिराना आसान है, इसमें किसी भी परिश्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती,पानी अपने आप चला जाएगा ,परंतु उठाने के लिए मोटर की आवश्यकता पड़ती है | उसी प्रकार मानवीय मन ,व मस्तिष्क है , जो गिराया तो आसानी से जा सकता है ,परंतु ऊपर उठाने के लिए स्वाध्याय की आवश्यकता पड़ती है I

किसी भी चीज को बिगाड़ आसानी से जा सकता हैI जिस प्रकार किसी दुखी व्यक्ति को और दुखी करना आसान है ,परंतु किसी दुखी व्यक्ति के दुख को सुनकर उचित मार्गदर्शन देना व मरहम लगाना कठिनI

और जीवन के यहीं उतार चढ़ाव में आपके कर्म और प्रारब्ध निर्धारित है..

जड़भरत पूरे जन्म में तो ब्रह्म की साधना करते रहे और अंत समय में उनका लगाव एक हिरन के बच्चे से हो गया था.सो उनका अगला जन्म भी हिरन के रूप में ही हुआ..

मनुष्य जन्म का सबसे बड़ा सत्य है "कर्म फल" यह चाहे इसी जन्म में भोगना पड़े चाहे अगले जन्मों में अतः सावधान होकर कर्म करे.किसी को सताने से पहले ध्यान रखे कि कोई तुम्हे भी सताने को तैयार किया जा रहा है प्रकृति के द्वारा,,अतः अपना कर्तव्य कर्म समझकर ही कर्म करे सँसार में,,उसमें लिप्त होकर नहीं..
कर्म और प्रारब्ध

"भगवान से मत ड़रो अपने कर्मो से ड़रो क्योंकि अपने कर्मो का फल तो भगवान को भी भोगना पड़ता है .

हमें यह लेख सोनू रघुवंशी ने भेजा है जिनकी वेबसाइट http://jigyasaa.com जिसमें यह ऑनलाइन शॉपिंग और मोटिवेशनल आर्टिकल लिखते हैं, अगर आपके पास भी कोई आर्टिकल है तो आप हमें भेज सकते हैं अगर वह प्रकाशित करने के काबिल हुआ तो हम आपके नाम के साथ आपका आर्टिकल top.howfn.com पर जरूर प्रकाशित करेंगे.

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