रेप पीडिता किन-किन परेशानियों टेस्ट से गुजरना पड़ता हे देखे report
आज निर्भय कांड को 4 साल हो चुके हे. जब उसके साथ रेप हुआ और उसे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में लाया गया तो उसकी हालत बहुत खराब थी, वो दर्द से चीख रही थी. वंहा की नर्स ने बताया हे की 21 साल में आज तक ऐसी हालत में उन्होंने आज तक किसी को नहीं देखा. उसे व्हीलचेयरपर लाया गया था, उसके शरीर पर एक भी कपडा नहीं था. बस उसे एक सफ़ेद चादर में ढका हुआ था और वो होश में और दर्द में थी. ना जाने कितने ऑपरेशन हुए थे. कैसे उसने इस दर्द को झेला होगा. यंहा तक की खत्म नहीं होती हे यह चीजे आगे उन्हें किन चीजों से गुजरना पड़ता हे, आईये जानते हे.
पहले एक रजिस्टर में पीड़ित द्वारा बताये गए उत्पीड़न को दर्ज़ किया जाता हे. इसके बाद पीडिता को मेडिकल जांच के लिए ले जाया जाता हे. उसके बाद डॉक्टर उसका SAFE (Sexual Assault Forensic Evidence) किट से सैंपल लेता हे. पीड़ित की योनी और गालों से Swabs लिए जाते हैं, नाखून का सैंपल लिया जाता है. पीड़ित के कपड़ों को भी सबूत के तौर पर रख लिया जाता है. इसके बाद PV टेस्ट भी किया जाता है, जिसे 'टू फ़िंगर टेस्ट' के नाम से जाना जाता है. इसके लिए पीड़िता की योनी में दो उंगलियां डाल कर उसकी जांच की जाती है. अगर पीड़ित नाबालिग है, तो उसके मां-बाप से भी इसकी इजाज़त ली जाती है.
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टेटनेस का इंजेक्शन और कॉन्ट्रासेपटिव पिल देने के बाद उसे HIV इन्फेक्शन के ख़तरे से बचाने के लिए ट्रीटमेंट दिया जाता है. इसके बाद पीड़ित को काउंसलिंग के लिए भी भेजा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया से गुज़रना भी पीड़ित के लिए आसान नहीं होता.
टेटनेस का इंजेक्शन और कॉन्ट्रासेपटिव पिल देने के बाद उसे HIV इन्फेक्शन के ख़तरे से बचाने के लिए ट्रीटमेंट दिया जाता है. इसके बाद पीड़ित को काउंसलिंग के लिए भी भेजा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया से गुज़रना भी पीड़ित के लिए आसान नहीं होता.
कहने को देश बदल रहा हे, लेकिन ना जाने यह रेप जेसी हरकते कब रुकेगी. कब इंसान का जमीर बदलेगा, कब ज़माने की सोच बदलेगी और कब एक महिला को इन्साफ मिलेगा और कब वो शान से जी पायेगी. बहुत से सवाल रह जाते हे लेकिन जवाब नहीं मिल पाते हे.
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