भाग्य ने काम करना बंद कर दिया है?..कैसे बदले bhagya ko kaise badle
23 November 2015
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अपनी ज़िंदगी से संतुष्ट तो कोई नहीं होता। इंसान एक ऐसा प्राणी है जिसे कितना भी मिल जाए, कितनी ही संपत्ति, धन-दौलत या फिर खुशियां मिल जाएं, वह फिर भी ज्यादा की उम्मीद करता है। लेकिन कई बार सच में ऐसी स्थिति आती है जब हमें लगता है कि हमारे भाग्य ने काम करना बंद कर दिया है।
जब सारी चीज़ें हमारी इच्छा से विरुद्ध चलने लगती हैं और हमें किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होती तब हम मन ही मन सवाल करते हैं कि ‘हमारी किस्मत के सितारे कब चमकेंगे’?
हमारा भाग्योदय कब होगा? वह दिन कब आएगा जब हम भी अपनी किस्मत पर नाज़ करेंगे? मनुष्य के इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्राचीनकाल के प्रतिष्ठित महर्षि भृगु द्वारा भृगु संहिता की रचना की गई थी। महर्षि भृगु ही वे विद्वान हैं जिन्होंने संसार को ज्योतिष शास्त्र से परिचित कराया है। उनके द्वारा रची गई भृगु संहिता में मनुष्य को अपने भाग्योदय होने के समय का पता लगता है। भृगु संहिता के अंतर्गत ज्योतिष संबंधी समस्त जानकारियां दी गई हैं। इस संहिता में कुंडली के लग्न के अनुसार भी बताया गया है कि व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा? महर्षि भृगु के अनुसार कुंडली में कुल बारह भाव होते हैं और ये 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिष विद्या में कुंडली का प्रथम भाव यानी कुंडली के केंद्र स्थान में पहला घर जिस राशि का होता है, उसी राशि के अनुसार कुंडली का लग्न निर्धारित होता है। इसलिए यदि आप कुछ जानना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपनी जन्म-कुंडली को किसी ज्योतिष को दिखाकर कुंडली का प्रथम स्थान पता करना होगा। (यहाँ क्लिक कर जाने सुख-समृद्धि बनाए रखने के 5 चीजें जरूर रखे vastu tips)
इस लग्न के आधार पर ही कुंडलियां बारह प्रकार की होती हैं। अपने लग्न स्थान को जानने के बाद ही आप यह जान पाएंगे कि आपका भाग्य किस उम्र में उदय होगा। परन्तु आगे की स्लाइड्स में हम कुल 12 राशियों के आधार पर यह बता रहे हैं कि किस उम्र में भाग्योदय होता है।
यदि आपकी कुंडली मेष लग्न की है तो आपका भाग्योदय 16 वर्ष की आयु में या फिर 22 वर्ष की आयु हो सकता है। इसके अलावा यह लग्न 28 वर्ष की आयु, 32 वर्ष की आयु तथा 36 वर्ष की आयु में भी भाग्योदय के संकेत देता है।(यहाँ पढ़े इन 8 कारणों से डंसता(काटता) है सांप)
हमारा भाग्योदय कब होगा? वह दिन कब आएगा जब हम भी अपनी किस्मत पर नाज़ करेंगे? मनुष्य के इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्राचीनकाल के प्रतिष्ठित महर्षि भृगु द्वारा भृगु संहिता की रचना की गई थी। महर्षि भृगु ही वे विद्वान हैं जिन्होंने संसार को ज्योतिष शास्त्र से परिचित कराया है। उनके द्वारा रची गई भृगु संहिता में मनुष्य को अपने भाग्योदय होने के समय का पता लगता है। भृगु संहिता के अंतर्गत ज्योतिष संबंधी समस्त जानकारियां दी गई हैं। इस संहिता में कुंडली के लग्न के अनुसार भी बताया गया है कि व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा? महर्षि भृगु के अनुसार कुंडली में कुल बारह भाव होते हैं और ये 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिष विद्या में कुंडली का प्रथम भाव यानी कुंडली के केंद्र स्थान में पहला घर जिस राशि का होता है, उसी राशि के अनुसार कुंडली का लग्न निर्धारित होता है। इसलिए यदि आप कुछ जानना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपनी जन्म-कुंडली को किसी ज्योतिष को दिखाकर कुंडली का प्रथम स्थान पता करना होगा। (यहाँ क्लिक कर जाने सुख-समृद्धि बनाए रखने के 5 चीजें जरूर रखे vastu tips)
इस लग्न के आधार पर ही कुंडलियां बारह प्रकार की होती हैं। अपने लग्न स्थान को जानने के बाद ही आप यह जान पाएंगे कि आपका भाग्य किस उम्र में उदय होगा। परन्तु आगे की स्लाइड्स में हम कुल 12 राशियों के आधार पर यह बता रहे हैं कि किस उम्र में भाग्योदय होता है।
यदि आपकी कुंडली मेष लग्न की है तो आपका भाग्योदय 16 वर्ष की आयु में या फिर 22 वर्ष की आयु हो सकता है। इसके अलावा यह लग्न 28 वर्ष की आयु, 32 वर्ष की आयु तथा 36 वर्ष की आयु में भी भाग्योदय के संकेत देता है।(यहाँ पढ़े इन 8 कारणों से डंसता(काटता) है सांप)
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