मोबाइल नेटवर्क 1G से 5G तक, क्या होता हे difference between technology hindi


हाल के दीनो में 4g टेक्नीक काफ़ी चर्चा में हैं, मोबाइल सर्विस प्रवाइडर कंपनीज़ 5g सेवा लॉंच करने की सोच रही हैं. एक तरफ जहा रिलाइयन्स जियो देश भर में बड़े पैमाने पर साल के आख़िर तक 5g सर्विस लॉंच करने वाली हैं. देश भर के कई हिस्सो में यह सेवा लॉंच भी कर दी हैं, जबकि वोडेफोन अपने नेटवर्क को अपडेट करने का काम कर रही हैं. उम्मीद हैं की अगले 2-3 महीनो में वोडेफोन भी 4g सर्विस को लॉंच कर देगी. तो आइए जानते हैं मोबाइल सर्विस की टेक्नीक्स और क्या क्या डिफरेन्स हैं इन अलग-अलग जेनरेशन की मोबाइल तकनीक में :- 
1G,2G,3G,4G,5G

1G :- 1G तकनीक दुनिया में वाइर्ले फोन्स की पहली टेक्नीक मानी जाती हैं. यह तकनीक पहली बार 1980 में सामने आई और 1992-93 तक इसका इस्तेमाल किया जाता रहा. इसमे दाता की स्पीड 2.4 कबपस थी. इस तकनीक की सबसे बड़ी खामी इसकी रोमिंग का ना होना था. पहली बार अमेरिका में 1ग मोबाइल सिस्टम ने इस टेक्नीक का उपयोग किया था. इस टेक्नीक में मोबाइल फोन पर वाय्स की क्वालिटी काफ़ी खराब थी, साथ ही यह बॅटरी भी बहुत खपत करती थी. इस टेक्नीक पर चलने वेल मोबाइल भी काफ़ी हेवी हुआ करते थे. यह आनलॉग सिस्टम पर आधारित तकनीक थी.

2G :- 2G तकनीक की शूरवात 1991 में फिनलॅंड में हुई. यह ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन पर आधारित तकनीक हैं जिसे शॉर्ट फॉर्म में ग्स्म टेक्नालजी कहा जाता हैं. इस तकनीक में पहली बार डिजिटल सिग्नल का इस्तेमाल किया गया. इस टेक्नीक के ज़रिए फोन कॉल्स के इलावा पिक्चर मेसेज, टेक्स्ट मेसेज और मल्टिमीडिया मेसेज भेजा जाने लगा. इस टेक्नीक की सबसे बड़ी खूबी यह थी की इसे इस्तेमाल करने से काफ़ी कम एनर्जी कन्स्यूम होती हैं और फोन की बॅटरी काफ़ी ज़्यादा चलती हैं. इस तकनीक पर दाता के आने-जाने की स्पीड 50,000 बीट्स पेर सेकेंड तक हो सकती हैं. यह तकनीक मुख्या रूप से आवाज़ के सिग्नल को ब्रॉडकेस्ट करता हैं. 2ग तकनीक से डाउनलोड और उपलोआड की मॅग्ज़िमम स्पीड 236 कबपस (किलो बाइट पेर सेकेंड) होती हैं. इसके अड्वान्स वर्षन को 2.5 ग और 2.7ग का नाम दिया गया था, दाता के एक्सचेंज की स्पीड भी बढ़ गयइ थी.

3G :- 3G तकनीक की शुरुवत 2001 में जापान में हुई. इस तकनीक का स्टॅंडर्डाइज़ेशन इंटरनॅशनल टेलिकम्यूनिकेशन यूनियन (ईट्च) ने किया था. इस टेक्नीक के मध्यम से टेक्स्ट, पिक्चर्स और वीडियो के अलावा मोबाइल टेलिविषन और वीडियो कॉन्फरेन्सिंग या वीडियो कॉल किया जा सकता हैं. इस तकनीक ने दुनिया में क्रांति ला दी और मोबाइल फोन की अगली जेनरेशन यानी की स्मर्टफ़ोने को बढ़ावा दिया. 3ग तकनीक में दाता की स्पीड 40 लाख बीट्स पेर सेकेंड तक होती हैं. 3ग तकनीक का ज़ोर मुख्या रूप से दाता ट्रान्स्फर पर हैं. 2ग तकनीक के मुक़ाबले 3ग की एक आहें ख़ासियत यह हैं की यह दाता के आदान-प्रदान के लिए अधिक सुरक्षित हैं. 3ग तकनीक में मॅग्ज़िमम डाउनलोड स्पीड 21 म्बपस और उपलोआड स्पीड 5.7 म्बपस होती हैं. इस टेक्नीक ने मोबाइल फोन्स के लिए अप बनाने का रास्ता खोल दिया.

4G :- 4G तकनीक की शुरुवत साल 2010 के आख़िर में हुई. इसे मोबाइल टेक्नीक की 4त जेनरेशन कहा जाता हैं. इस तकनीक के ज़रिए 100 म्बपस से लेकर 1 गबपस तक की स्पीड से दाता को डाउनलोड-उपलोआड किया जा सकता हैं. यह ग्लोबल रोमिंग को सपोर्ट करता हैं. यह टेक्नीक 3ग तकनीक के मुक़ाबले कन्हि सस्ती तकनीक हैं. साथ ही इसमे सेक्यूरिटी फीचर्स भी ज़्यादा हैं. हलकी की इस तकनीक की कुछ ख़ामिया भी हैं. जैसे 3ग के मुक़ाबले कन्हि ज़्यादा बॅटरी खपत करता हैं. 4ग तकनीक से लेस मोबाइल में हार्ड हार्डवेर सिस्टम की ज़रूरत होती हैं, इसलिए 3ग फोन्स के मुक़ाबले 4ग फोन महनगे होते हैं. 4ग तकनीक की बेसिक इनफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने में महनगे गॅडजेट्स लगाने पड़ते हैं. हलकी की जैसे-जैसे तकनीक आम होती चली जाएगी, फोन और नेटवर्क एक्विपमेंट दोनो की कीमतो में कमी आएगी. फिलहाल 4ग तकनीक दुनिया के काफ़ी कम देशो में अवेलबल हैं, जिनमे ज़्यादातर डेवेलपमेंट कंट्रीज़ शामिल हैं, लेकिन खुशी की बात यह हैं की यह तकनीक भारत में भी मौज़ूद हैं. 3ग तकनीक की सबसे बड़ी खामी जहा इसके दाता का मिनिमम स्पीड 2.5ग के बराबर होना हैं. वही 4ग तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह हैं की इसमे खराब से खराब नेटवर्क में भी कम से कम 54 म्बपस की स्पीड मिल सकती हैं.

5G :- 5G तकनीक की शुरूवात साल 2010 में हुई. इसे मोबाइल नेटवर्क की 5th  जेनरेशन कहा जाता हैं. यह " वाइर्ले वर्ल्ड वाइड वेब" मोबाइल इंटरनेट को ध्यान में रख कर बनाया गया हैं. इस टेक्नीक में बड़े पैमाने पर दाता का आदान-प्रदान किया जा सकता हैं. इसमे HD क्वालिटी का वीडियो के साथ मल्टिमीडिया न्यूसपेपर ब्रॉडकेस्ट की जा सकती हैं. साथ ही इस तकनीक से वीडियो कॉलिंग के सेक्टर्स में रेवोल्यूशन आ जाएगी. इस तकनीक में अल्ट्रा हाइ डेफिनेशन क्वालिटी की वाय्स का ब्रॉडकेस्ट किया जा सकता हैं. इस तकनीक में 1GBPS से अधिक दाता की आवाजाही हो सकती हैं, हलकी अभी तक इसकी मॅग्ज़िमम स्पीड डिफाइन नही की गयी हैं, क्योंकि यह अभी कॉन्सेप्ट के दौर में हैं और इस पर काम चल रहा हैं. इस टेक्नीक की सबसे बड़ी खूबी रियल टाइम के बड़े से बड़ा दाता ट्रान्स्फर करना होगा. साथ ही यह तकनीक आग्मेंटेड रिलिटी के सेक्टर में नया रास्ता खोलेगी, यानी की इस टेक्नीक से आप फोन कॉल पर बिल्कुल आमने-सामने बात कर पाने में सक्षम होंगे. अलग-अलग साइन्स फिक्षन और कहानियो में जैसे कोई आदमी आपके सामने आभासी रूप में हाज़िर हो जाता हैं और आप उससे आमने-सामने बात करने के लायक हो जाते हैं. कहने का मतलब यह हैं की आपके सामने एक हू-ब-हू ऊस व्यक्ति का फुल साइज़ वीडियो आ जाएगा मानो वह आपके सामने ही खड़ा हैं. इस तकनीक से ऐसा करना पासिबल हो सकेगा. अनुमान के मुताबिक 5ग तकनीक साल 2020 तक धारल्ले से इस्तेमाल की जाने लगेगी. फिलहाल ब्रिटन की कॅपिटल लंडन में 2020 तक इस तकनीक को लगाने की तैयारी चल रही हैं.

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