प्याज लहसुन ना खाए जाने के पीछे सबसेप्रसिद्ध पौराणिक कथा helth hindi
13 April 2019
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प्याज और लहसुन ना खाए जाने के पीछे सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा
यह है कि समुद्रमंथन से निकले अमृत को, मोहिनी रूप धरे विष्णु भगवान जब देवताओं में बांट रहे थे; तभी एक राक्षस भी वहीं आकर बैठ गया। भगवान ने उसे भी देवता समझकर अमृतदे दिया। लेकिन तभी उन्हेँ सूर्य व चंद्रमा ने बतायाकि ये राक्षस है।
भगवान विष्णु ने तुरंत उसके सिर धड़से अलग कर दिए। लेकिन राहू के मुख में अमृत पहुंचचुका था इसलिए उसका मुख अमर हो गया।पर भगवान विष्णु द्वारा राहू के सिर काटे जाने परउनके कटे सिर से अमृत की कुछ बूंदे ज़मीन पर गिर गईंजिनसे प्याज और लहसुन उपजे।
चूंकि यह दोनों सब्ज़िया अमृत की बूंदों से उपजी हैं इसलिए यह रोगों और रोगाणुओं को नष्ट करने में अमृत समानहोती हैं |पर क्योंकि यह राक्षसों के मुख से होकर गिरी हैं
भगवान विष्णु ने तुरंत उसके सिर धड़से अलग कर दिए। लेकिन राहू के मुख में अमृत पहुंचचुका था इसलिए उसका मुख अमर हो गया।पर भगवान विष्णु द्वारा राहू के सिर काटे जाने परउनके कटे सिर से अमृत की कुछ बूंदे ज़मीन पर गिर गईंजिनसे प्याज और लहसुन उपजे।
चूंकि यह दोनों सब्ज़िया अमृत की बूंदों से उपजी हैं इसलिए यह रोगों और रोगाणुओं को नष्ट करने में अमृत समानहोती हैं |पर क्योंकि यह राक्षसों के मुख से होकर गिरी हैं
इसलिए इनमें तेज़ गंध है और ये अपवित्र हैं जिन्हें कभीभी भगवान के भोग में इस्तमाल नहीं किया जाता।कहा जाता है कि जो भी प्याज और लहसुन खाताहै उनका शरीर राक्षसों के शरीर की भांति मज़बूतहो जाता है |लेकिन साथ ही उनकी बुद्धि और सोच-विचारराक्षसों की तरह दूषित भी हो जाते हैं।
जो लहुन और प्याज खाता है उसका मन (के साथसाथ पूरा शरीर तामसिक स्वभाव का हो जाता है। )ध्यान भजन मेँ मन नहीँ लगता। इसलिए प्याज लहसुनखाना शास्त्रोँ मेँ मना किया गया है।
जो लहुन और प्याज खाता है उसका मन (के साथसाथ पूरा शरीर तामसिक स्वभाव का हो जाता है। )ध्यान भजन मेँ मन नहीँ लगता। इसलिए प्याज लहसुनखाना शास्त्रोँ मेँ मना किया गया है।
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