राजा के कर्तव्यों की कहानी inspirational stories hindi
inspirational stories hindi एक राजा अपनी प्रजा के कष्टों का पता लगाने के लिए रात में अकेले घूमा करता था। एक बार वह एक जंगल से जा रहा था। शाम हो चुकी थी। तभी उसे एक गाय के रंभाने की आवाज सुनाई दी। वह उस ओर दौड़ा। वहां जाकर देखा कि एक गाय दलदल में फंसी हुई थी
राजा ने उसे बाहर निकालने का बहुत प्रयास किया, किंतु सफल नहीं हुआ। गाय का रंभाना सुनकर एक शेर वहां आ पहुंचा। अंधेरा होने के कारण राजा अब कुछ कर नहीं सकता था, इसलिए तलवार लेकर गाय की रक्षा करने लगा, जिससे शेर उस पर आक्रमण न कर दे।
राजा ने उसे बाहर निकालने का बहुत प्रयास किया, किंतु सफल नहीं हुआ। गाय का रंभाना सुनकर एक शेर वहां आ पहुंचा। अंधेरा होने के कारण राजा अब कुछ कर नहीं सकता था, इसलिए तलवार लेकर गाय की रक्षा करने लगा, जिससे शेर उस पर आक्रमण न कर दे।
हिंदी में कहानी राजा और प्रजा
नाले के पास एक वट वृक्ष था, जिस पर बैठे तोते ने कहा- राजन, गाय तो मरेगी ही, अभी नहीं तो कल तक दलदल में डूबकर मर जाएगी। उसके लिए तुम अपने प्राण क्यों दे रहे हो। इस सिंह के अलावा और दूसरे जंगली जानवर आ गए तो तुम भी नहीं बचोगे। राजा बोला- अपनी रक्षा तो सभी करते हैं किंतु दूसरों की रक्षा में जो प्राण देते है वे ही धन्य होते है।
मैं राजा हूं। मेरा कर्त्तव्य है प्रजा की रक्षा करना। यह गाय भी तो मेरी प्रजा है। अपने प्राण देकर भी मैं इसे बचाने का प्रयास करूंगा। पूरी रात राजा गाय की रक्षा करता रहा सुबह होते ही कुछ लोग उधर से गुजरे। राजा ने उन्हें बुलाया।
सभी ने मिलकर गाय को दलदल से बाहर निकाल लिया। गाय के बाहर आते ही राजा की आंखें खुल गईं। इस सपने ने प्रजा के प्रति उसकी कर्त्तव्य भावना को और मजबूत बना दिया।
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